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नियति ने मुझे कुछ दिनों के लिए
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कुछ साधारण लोगों के साथ रहने का मौका दिया
जहाँ मै रहा वहाँ के लोग छोटी सी झोपड़ी में रहते थे
वहाँ के लोग जिंदादिल और बहुत ख्याल रखने वाले थे
वो हर वक्त मेरा ख्याल रखते थे
हर समय मेरे खाने के बारे मे पूछते रहते थे
मै जानता था वो आभाव में है
लेकिन उन्होंने मुझ पर अपना प्रभाव कायम कर लिया था
उन्होंने मुझे इतना अपनापन दिखाया की
मै उन्हें अपना परिवार ही मान बैठा
लेकिन दुर्भाग्य से मुझे कुछ दिनों के बाद
वहाँ से दूर जाना पड़ा
एक और आशियाने मे जिंदगी के चंद पल बिताने
जो एक आलिशान बंगला था जहाँ मै कुछ दिन ठहरा
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कहने के लिए वहाँ सुविधाओं का कोई आभाव नहीं था
मगर वहाँ किसी के पास किसी के लिए समय ही नहीं था
मुझे वहाँ पर घुटन सी होने लगी
सांस लेने मे भी तकलीफ होने लगी
क्योंकि वहाँ की हवाओं मे केवल पैसा की गंध फैली थी
लेकिन अपनेपन की खुशबू नही थी
फिर मुझे याद आने लगे उस झोपड़ी के लोग
जिनके पास बहुत कम संसाधन थे
फिर भी वो खुश रहते है
आपस में मिलकर रहते है
उनकी हंसी मुझे याद आने लगी
जो वातावरण मे चारो ओर गूंजती थी
जैसे प्रकृति भी उनके सुर मे सुर मिलाकर आनंदित थी
फिर मै समझा की जीवन मे सिर्फ पैसा और शौहरत
बस एक वस्तु की तरह है जो आपको खुशी
कुछ देर के लिए भले ही दे सकता है
मगर जीवन में सुकून नहीं दे सकता
मै जीवन में वो सीख चुका था
जिसे मै शायद कभी सीखना नहीं चाहता था
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