मिट्टी हूँ मै मिट्टी में मिल जाऊंगा पर
इस वतन को छोड़कर ना जाऊंगा
मिट्टी बनकर हवा में इधर उधर उड़ता जाऊंगा
वीरो की हर उस भूमि को छूकर लौट मै आऊंगा
मुझे कौन रोक सकेगा भला
मै तो हवा के जैसे उड़ता जाऊंगा
बंजर पड़ी हर भूमि को उपजाऊ मै बनाऊंगा
हर दिन जीवन में मै एक नयी गाथा लिखता जाऊंगा
मिट्टी हूँ मै मिट्टी में मिल जाऊंगा
किसी ने कितना सही कहा है
ये बात दिल को पसंद आई
हम सारी उम्र अच्छे वक्त का इंतजार करते हैं
मगर अच्छा वक्त केवल इंतजार ही रह जाता है
मगर अच्छा वक्त नही आता
हमे पता ही नहीं चलता उम्र कब गुजर गयी
अच्छे वक्त की राह देखते देखते
तो क्यों ना जो आज का वक्त है हमारे पास
उसे अच्छा मानकर हम उस वक्त में खुलकर जीए
बजाय इस इंतजार में की अच्छा वक्त आएगा
अच्छा वक्त क्या होता है आखिर
ढ़ेर सारा पैसा अंधाधुंध कमाई और
खुद की खुशियों के लिए भी समय नहीं
पैसे कमाने में ऐसे व्यस्त है की
अपने प्रियजनों के लिए वक्त ही नहीं है
क्या ये अच्छा वक्त है मुझे तो नहीं लगता
ये अगर अच्छा वक्त है तो शायद
संसार में खुशीयों के मतलब के मायने ही बदल जाएंगे
जहाँ आप अपने प्रियजनों के मन की बात नहीं समझ पाते
उनके दिल में क्या चल रहे हैं ये नहीं समझ पाते
आपके प्रियजनों को आपकी जरूरत है
ना की आपके पैसे की
आप इसे भले ही अच्छा वक्त मानते हैं अपने लिए
पर मै इसे बुरा वक्त मानता हूँ और
ऐसा लगता है जीवन में अगर
आपको ऐसा ही वक्त पसंद है तो
आपके प्रियजनों के जीवन में आपके होने से भी
कभी अच्छा वक्त कभी नहीं आएगा
एक दिन जब आप अपने इस अच्छे वक्त से थक जाएंगे
अंधाधुंध पैसे कमाकर और जब आपको आपके
प्रियजनों की आवश्यकता महसूस होगी तो
वो आपको कभी अच्छा वक्त
महसूस नहीं करा पाएंगे और
इस बुरे वक्त के लिए जिम्मेदार केवल आप होगे
फिर आप ये शिकायत मत रखना जिंदगी से की
अच्छा वक्त कभी नहीं आया