जीवन एक चुनौती पर कविता
माना काली रात बहुत लंबी हो गयी
मै अंधेरे में कितनी बार गिरा
कितनी चोटे आई मुझे अंधेरे में
लेकिन हर बार उठ कर मै रोशनी की
बस एक किरण की तलाश करता रहा
मुझे लगता था बस अब सवेरा होने ही वाला है
लेकिन ये जो रात थी कुछ अधिक ही गहरी थी
मै कितना भी देखने की कोशिश करता पर
हर बार अंधेरे में मुझे मेरे हाथ भी नहीं दिखाई देते
लेकिन मैने दूर हल्की सी लालिमा देखी है
अब ऐसा लगता है सवेरा जल्दी ही होगा
जहाँ सूर्योदय मेरे उन तमाम चोटो का अंत करेगा
जो अंधेरो में बेहिसाब मुझे लगी है
एक पल के लिए लगा शायद ये रात
कभी खत्म ही ना होगी
लेकिन दूसरे पल ये लगा
दुख के बाद सुख आता है तो
फिर रात के बाद दिन कैसे नहीं आएगी
बस अब मै अपनी आंखों से
उस सूरज को निकलते हुए देखना चाहता हूँ
जिसे ना देखने के लिए
अंधेरो ने मुझे बहुत जख्मी कर दिया
लेकिन मुझे यकीन है मै आकाश में
निकलते उस सूर्य को अवश्य देखूँगा
क्योंकि ये उदय केवल सूर्य का ही नहीं
बल्कि मेरा भी होगा
स्वयं पर कविता
सूरज से जलना सीखो
अंधेरो से पल -पल लड़ना सीखो
लाख अंधेरा क्यो ना हो सामने
उन अंधेरो में चलना सीखो
क्या हुआ जो थम गये तुम
दुख के पीड़ा से जम गये
उन कठिनाईयों मे ही पलना सीखो
होगा दूर अंधेरा जीवन से
कमल हो तुम कीचड़ को भी
बदन में मलना सीखो
विफलताओं के जंग जीतने के है पूरे आसार
जीतने के लिए हो जा तैयार
मन से मत हार कभी क्योंकि
तू ही खूद है अपनी पराजय के
विरुद्ध सबसे बड़ा हथियार
सज हो जाओ हो जा अब तू तैयार
जीत का खुलने वाला है अब स्वर्ण द्धार
कर्म करने की प्रेरणा देने वाली कविता
प्रयत्न पर कविता
असफलताओ की गाथाओं से भी
कितना ऊंचा होता है मान
इन असफलताओ से सीखा है मैने
लक्ष्य करने का संधान
तुनीर में एक से बढ़कर एक बाण है शेष है अभी
फिर भी इस बार हार से ही मिला मुझे
जीतने का जीवन में उचित ज्ञान
विफलता और परेशानियां ही तो
एक साधारण मनुष्य को बनाती है महान
उत्साह पर कविता
मन से जो हारा वो जग से हारा
फिर बन जाता वो खुद ही बेसहारा
जीतने के लिए जो हो रहें हैं तैयार
विफलताओं के जंग को चीर कर
खोले सकते हैं केवल वही विजयी द्धार
आओ मेरी पराजय आज देख लेते हैं
तुमको भी सामने से
किसके भीतर है कितनी धार
जीवन एक चुनौती पर कविता
आगे बढ़ने पर कविता
मेहनत करने का जुनून है तुझमे तो
तेरी मेहनत को सफलता का ईनाम मिलेगा
आकाश में नजरें उठा कर तो देख
बादलो को चीरता हुआ
तुझे तेरा एक नया आसमान मिलेगा
सूरज की किरणों में अब तू ही
सुबह और शाम मिलेगा
कौन है जो रोक ले तेरी विजय रथ को
शायद अब तेरी असफलताओ को भी
उसका सर्वश्रेष्ठ स्थान मिलेगा
तेरी पीड़ा पराजय को भी गर्व होगा तुझ पर
उनकी खोती श्वास को भी
नये स्वर्णिम जीवन का उचित स्थान मिलेगा
नई ऊर्जा पर कविता
जो आग बुझ चुकी है उसे मुझे सुलगाना है
उस नरसिंह को आज मुझे जगाना है
उसकी भीषण गर्जना इस जहां को सुनाना है
जाग जाए जो सो रहा है अब तक
जिसकी नींद बहुत खानदानी है
वो भीतर का शेर जीत की निशानी है
हार क्या है बस उसकी एक गर्जना से
हवा हो जानी हैं
हार बस पल दो पल की बाधा है
ये बात अपने शब्दों में सबको समझानी है