रावण की आंखों से हर कोई दुनिया देखता है
लेकिन राम की आंखों से दुनिया देखने का साहस
भला कौन करता है आजकल
रावण की आंखों से देखी गयी इस दुनिया में
सब कुछ तो मौजूद है जो आज का हर इंसान चाहता है
लालच, क्रोध, अंहकार, हिंसा, काम मद, ऐश्वर्य ,
स्वंय ही सर्वोसर्वा होने कि महानतम चाह
लेकिन राम की आंखों से देखी गयी दुनिया में
ये सब कुछ नहीं मिलेगा वहाँ तो केवल और केवल
असीम प्रेम के अलावा कुछ उन आंखों ने देखा ही नहीं है
बस प्रेम में ही खुद को जीया है और
प्रेम में ही खुद को समर्पित कर दिया
रावण की आंखों में सब कुछ तो है लेकिन बस
आभाव केवल और केवल प्रेम का ही है
ये जो रावण की आंखे है सब कुछ देखती है
लेकिन प्रेम उसे कही नजर ही नहीं आता है
पर राम की आंखे प्रेम के अलावा कुछ देखती ही नहीं है
उन्हें प्रेम के अलावा कुछ नजर नहीं आता है
रावण की आंखों ने कभी देवी मनदोदरी के
आंखों के प्रेम को समझा ही नहीं
रावण अपनी आंखों से देवी मनदोदरी के
आंखों का असीम प्रेम देखने की अगर कोशिश करता
तो शायद आज वो अपने जीवन के उस लक्ष्य को पा लेता
जिस लक्ष्य को उसने इतनी उपलब्धि
हासिल करने के बाद भी नहीं प्राप्त की थी
वही राम को देवी सीता के आंखों के प्रेम के अलावा
कुछ दिखता ही नहीं और भला
वो कुछ और भी देखकर क्या करेगे
राम को कोई उपलब्धि की आवश्यकता ही कहाँ है
उन्होंने तो सबसे महानत्म उपलब्धि प्राप्त कर ली थी
जो प्रेम का सागर देवी सीता की आंखों में है
उसके आगे बैकुण्ठ धाम का सागर भी क्षीण है
तो और भला क्या देखने की कामना अब
शेष हो इन आँखों में
अब राम और रावण की परिस्थितियों ने
खुद को अब बिल्कुल बदल दिया है
लोगों को शायद इसलिए ही दो आंखे दी है प्रकृति ने
कौन सी आंखों का प्रभुत्व दूसरी आंख भी स्वीकार करे
राम की आंखों का या रावण की आंखों का
एक आंख में प्रेम का प्रभुत्व है तो
दूसरी आंखों में लालच का साम्राज्य
चुनाव तो देखने वाले को ही करना है जीवन में
वो दुनिया को कौन सी आंखों से देखने की चाह रखता है
राम के प्रेम भरे आंखों से या फिर
रावण के लालच भरे साम्राज्य भरी आंखों से
राम की प्रेम भरे आंखों का चुनाव
जीवन में बहुत कष्ट तकलीफ देगा लेकिन
फिर सब कुछ शांत, पवित्र, खुशहाल,
प्रेम भरा संसार जो मोक्ष के राह पर ले जाएगी
और रावण के लालच भरे आंखों का चुनाव
शुरुआत में सब कुछ देगी फिर
धीरे धीरे करके सब कुछ वापस लेगी और
अंत बड़ा हि्दय विदारक और कष्टों से भरा होगा
बस चुनाव आपके हाथों में है
हम राम की आंखों से दुनिया देखे या रावण की आंखों से