जब भी चांद की बात आती है तो तुम्हारी याद आती है फिर नींद कहाँ रातो में आती है फिर तुम्हारे चेहरे की चमक से…
तुम्हारे मेरे साथ नहीं होने में कितनी मजबूत भावना छिपी है जो रातों को मेरी नींद छिन लेता है और अगर गलती से सो भी…
आज सुबह से हर ओर कैसा शोर है सब कह रहे हैं मोहल्ले में चांद उतर आया है हर ओर जैसे भगदड़ और बदहवासी सी…
आज डूबते सूरज ने शायद पहली बार उस चांद को देखा था सूरज कुछ पलो के लिए जैसे रूक गया था शायद अब सूरज ढ़लना…
रावण की आंखों से हर कोई दुनिया देखता है लेकिन राम की आंखों से दुनिया देखने का साहस भला कौन करता है आजकल रावण की…
भव सागर के जाना हो पार तो सदैव सत्य हो आधार कभी कभी असत्य भी ले जाए भव सागर के पार जिस असत्य का धर्म…
कैसी बिडम्बना है ये जो स्वयं लक्ष्मी है जिनके द्धारा सबको धन दिया जाता है जो धन ऐश्वर्य की देवी है उन्हें ही मोह हो…