तुम्हारे मेरे साथ नहीं होने में कितनी मजबूत भावना छिपी है
जो रातों को मेरी नींद छिन लेता है और
अगर गलती से सो भी जाऊँ तो तुम्हारा मेरे सपनो में भी आकर
हलचल मचा देना होता है ये भी तो प्रेम करने का ही तरीका है
ये तुम्हारा प्रेम तो हर रूप में ही आश्चर्यचकित ही तो करता है
मुझे हमेशा ऐसा लगता है रात्रि प्रहर का स्वप्न
हमारे दो आंखे नहीं बल्कि हम दोनों की
दो दो आंखे चार आंखे बनकर
सिर्फ और सिर्फ एक ही तो स्वप्न देख रही है
यही तो प्रेम का प्रमाण है जो दो भिन्न स्वभाव वाले के बीच में
सदैव एक से स्वभाव का निर्माण करता है
जहाँ दो विपरीत धुरियों के लोग आपस में एक बंधन में बंध जाते हैं
वही तो प्रेम है अब तो जीवन में मै ना ही कभी आश्चर्यचकित होता हूँ और
ना ही मन की भावनाओं के द्वंद के भवर में फंसता हूँ
क्योंकि मैंने प्रेम किया है इसलिए अब मैं दो लोगों के प्रेम में
दो रूपो के परावर्तन से बने एक रूप को जीता हूँ
जिसमें मन के अंतकरण में हर भावना प्रेम की ही है
जो भावना तुम्हारी और हमारी है जो हम दोनों को एक बनाती है