मैंने कल अपने किसी कार्य के लिए कही जा रहा था
तभी मैने सड़क किनारे एक आदमी को देखा
जिसके पास बहुत सारे पिंजरे थे
उन पिंजरे में कई मासूम पंरिदे कैद थे
जिन्हें वो बेचने के लिए ले जा रहा था
उन सभी परिंदो मे एक अजीब सी बेचैनी थी
उनकी आंखों मे घबराहट और डर था
मगर कहीं न कहीं उनकी आंखों मे
आजादी की आस देखी जा सकती थी
खुली हवा मे फिर से उड़ने की वो चाह
इसी चाह की उम्मीद में परिंदे जी -जान से
कोशिश कर रहे थे पिंजरे से बाहर आने की
इस दौरान कई परिंदे खुद को घायल कर चुके थे
फिर भी परिंदे हार नहीं मान रहे थे
लगातार कोशिश पे कोशिश किए जा रहे थे
खुली हवा मे सांस लेने की
लौट कर अपने घर जाने के लिए
मैने सोचा जितनी तड़प इन परिंदों के अंदर है
जितनी कोशिश ये परिंदे कर रहे है
अपने दु:ख से मुक्ति पाने के लिए
उसका अगर मै आधा भी कोशिश करूँ अपने जीवन में
अपनी परिस्थितियों को बदलने के लिए
पूरी ईमानदारी के साथ तो मुझे कोई रोक नहीं पाएगा
जीवन मे कामयाब होने से
बस परिंदो सी बेचैनी और छटपटाहट होनी चाहिए मेरे अंदर
बुरी परिस्थितियों को बदलने का यकीन होना चाहिए
यकिनन परिस्थितियां मे सुधार आएगा
मेरे सपने पूरे हो जाएंगे