एक भिक्षा मांगने वाला बहुत दिनों से भूखा है वो एक स्थान पर बैठा है मन मे आस लिये वो बहुत भूखा है उम्मीद की…
मैंने कल अपने किसी कार्य के लिए कही जा रहा था तभी मैने सड़क किनारे एक आदमी को देखा जिसके पास बहुत सारे पिंजरे थे…
मुझे लगता था की मै अकेला खड़ा हूँ लेकिन अब कोई और मेरे साथ है कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है मेरे हर सुख दुख…
एक अकेला दीया लड़ रहा तूफान से प्रचंड हवाओ के झोके से  गरजते बिजली और आसमान से बरसते भीषण वर्षों के बूंदो के जहान से…
अकेले अब मै नहीं थकता क्योंकि जिनसे मै अक्सर उम्मीद रखता हूँ और जब मुझे उनकी जरूरत होती हैं तो वो अक्सर मुझसे दूर चले…