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कभी – कभी सूनी अंधेरी रातो में
जब अकेलापन डराने लगता है तो
शायद कुछ भटकी आत्माएं
अपने अकेलेपन से मुक्त होने
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मेरे पास चली आती है
लेकिन मै उन्हें कैसे समझाऊँ
मै खुद की ही आत्मा को मुक्त नहीं करा सकता
जो उन आत्माओ से भी कही ज्यादा तन्हा है
मै हर बार उन आत्माओ को मायूस कर देता हूँ
क्या लिखूँ जब शब्द ही साथ नहीं देते तो
औरो से साथ की उम्मीद कैसे रखूँ
अपने पराए क्या होते हैं जीवन में
कहने के लिए हर पराया अपना है
और हर अपना पराया है
मुझे जरूरत है तुम्हारी
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मुझे जरूरत थी तुम्हारी
मुझे जरुरत रहेगी तुम्हारी
अब आ जाओ ताकि
हम एक हो जाए
हमेशा हमेशा के लिए
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