
आज उसकी हंसी पूरे घर में ऐसे गूंज रही है
जैसे बसंत ऋतू में हल्की ठंडी हवा बह रही हो

जैसे हल्की ठंडी हवा ने पूरे वातावरण को महका दिया हो
हर कोई झूम उठा है इस हवा के ठंडे झोके का स्पर्श पाकर
ठीक आज वैसे ही उसकी हंसी पूरे
घर में बस खुशबू ही खुशबू फैला रही है
घर के हर कोने में बस उसकी ही हंसी का शोर है
आज ऐसा लगता है जैसे सारे फूल हमारे घर में ही आ गए हो
आज मुझे उसकी हंसी तो किसी और ही दुनिया में ले आई है

जहाँ मै बस प्रेम की पराकाष्ठा देख रहा हूँ
यहाँ बस हर ओर प्रेम ही प्रेम फैला है
जहाँ तक नजर जाती है वहाँ तक बस
हर ओर प्रेम के ही फूल खिले है
इतना प्रेम मैने जीवन में कभी एक साथ नहीं देखा था
अब तो बस वो ही नजर आती है और उसका प्रेम
इसके अलावा कुछ नजर ही नहीं आ रहा
इस प्रेम की नगरी को देखकर अब तो
मुझे कुछ और देखने की इच्छा ही नहीं रही मन में
तुम क्या आई जीवन में मैने जीना सीख लिया
और तुम्हारी मुस्कान ने तो इस जीवन में प्राण फूंक दिए है
तुमने मुझे जीवन के उन रंगों से मिलवाया
जिन रंगों को मैने आज से पहले कभी नहीं देखा था
मै तुम्हारी हंसी की इस गूंज में बस
खो जाना चाहता हूँ हमेशा हमेशा के लिए

सब से अब तुम कह दो मुझे अब नहीं ढूढ़े
उन सब की कोशिशे बेकार जाने वाली है
मै अब लौटकर वापस नहीं जाऊँगा
अब लौटकर वापस गया तो फिर ये दुनिया
मुझे बेरंग नजर आएगी जहाँ अब मेरे लिए
कुछ भी नहीं है सिवाए दुख और मायूसी के
तुम्हारे इन हंसी के इन रंगों को मै कभी नहीं खोने दूंगा
बस तुम मेरे साथ ऐसे ही रहना हमेशा

मेरी खातिर तुम प्रिय इतना ही करना
मेरी खातिर तुम प्रिय इतना ही करना
