तुम क्यों नहीं आई
मैने जीवन के अंधेरो में तुम्हारा कितना इंतजार किया
तुम प्रकाश की हल्की सी लौ बनकर आओगी
तुम क्यों नहीं आई
अब तो ये आंखे भी पथरा गयी
इंतजार मायूसी में बदल गयी
रास्ते पर टिकी नजर बस
सदा के लिए खामोश हो गई
तुम क्यों नहीं आई
बताओ तुम क्यों नहीं आई
बिना तुम्हारे मैने कितना कुछ सहा
हर पल हर दिन सूरज सा जला
हर पल मै कितना तड़पा
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हर किसी ने मुझे कितना सताया
काश तुम आ जाती तो
ये सब कभी ना होता
मै इतना कभी ना तड़पता
शायद तुम मुझे इन तकलीफो से बचा लेती
तुम क्यो नही आई
सुंदर सा चेहरा तेरा
सुंदर सा चेहरा तेरा
कठिन भरा डगर मेरा
महलों की तुम रहने वाली
फकीरो सा जीवन मेरा
तुमको पाना चाहता हूँ मैं
पर दूर तक असर नहीं है मेरा
आसमान में सोती हो तुम
जमीन में होता है बिस्तर मेरा
लोगों के बीच होता है तुम्हारा बसेरा
विरानो में होता है मेरा सबेरा
आगे अब शायद तुम्हे तय करना है
प्रेम की नगरी का सफर कभी खत्म नही होगा
जहाँ हम मिले थे ये सफर हमारा है और इसे
हमे ही पूरा करना होगा
राह तुमने बनाई और मंजिल मेरा था
वहाँ तक पहुँचना तय किया था हमने
अकेले मै मंजिल पर पहुँच कर क्या करूँगा
अकेले मै मंजिल पर पहुँच कर क्या करूँगा
आगे अब शायद तुम्हे तय करना है
आगे अब शायद तुम्हे तय करना है
कुटिया में रहने आ जाओ
मेरे लिए तो तुम ही हो
वो रास्ता जिसमें बस प्रेम की डगर है
जिसमें प्रेम का मोड़ है
जिसके चारो ओर हरे भरे खेत लहलहा रहे हैं
बहुत तेज ठंडी हवाएँ चल रही है
दूर से पंक्षियों का झुंड गाता हुआ आ रहा है
ऊंचे पहाड़ों के बीच मै खो सा गया हूँ
ऐसा लगता है अब प्रेम की इस डगर पर
एक छोटी सी कुटिया बसा लूं
जहाँ केवल तुम और मै रहूँ बस तुम और मै
तुम मुझे प्रेम की डगर पर तो ले आई
अब साथ में हमेशा के लिए रहने के लिए आ जाओ
हम मिलकर कुटिया बनाएंगे फूस का ही सही
पर हम हमेशा प्रेम से रहेगे सदा
तुम आओगी उस कुटिया में रहने
तुम आओगी प्रिय तुम आओगी प्रिय
प्रेम का वो जीवन जीने
जिसपर हमारा अधिकार है
शायद ये प्रेम का डगर ही
हमारे जीवन की वास्विकता है,अब
तुम्हारी मर्जी है सिर्फ
इस डगर पर चलने की
तुम आओ या ना आओ
मै इस कुटिया में तुम्हारा इंतजार करूँगा
फिर शायद कभी ना ही ये प्रेम की डगर होगी
और ना ही कभी ये प्रेम की कुटिया होगी
मै कीचड़ कीचड़ हो गया
कई आरोपों से धिरा मै
शायद कीचड़ में गिरा मै
कैसे खुद को साफ करूँ मै
कीचड़ में भी तुमने ही तो धकेला है
शायद इसलिए मैने कीचड़ को
अब तक साफ नहीं किया
मै और भी उस कीचड़ के अंदर चला गया
बिल्कुल कीचड़ की गहराई में
शायद तुम्हारा मेरे ऊपर फेका कीचड़ भी
मुझे अच्छा ही लगा मै और
मेरा नाम कीचड़ कीचड़ हो गया
सदा के लिए मुझे कीचड़ से
बाहर निकलना आता है,पर
मै कीचड़ में ही अब घर बना लिया है
और इसी कीचड़ में अब रहता हूँ
मेरे ऊपर फेका कीचड़ भी तो खास ही है
बिल्कुल तुम्हारे जैसा
मै तो हमारी कहानी लिखूँगा
जिसमें सिर्फ और सिर्फ
तुम और मै हो और उस कहानी में कोई भी ना हो
बस और बस हमारा प्यार हो जिसे पाने के लिए
हर रोज मरता रहता हूँ लेकिन इस कहानी में
हम मिलेगें हमेशा हमेशा के लिए
जिसमें कोई भी गम ना तुम्हारा होगा और
कोई भी गम ना मेरा होगा
कितना दर्द सहा है हमने इस कहानी में
कोई दर्द गम पीड़ा तकलीफ नही होगी
बस हमारी खुशियाँ और असीम प्रेम होगा सदा के लिए