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इस संसार को फूलो की आवश्यकता है ना की कांटों की
फूल प्रकृति की सुंदरता की सबसे उत्कृष्ट कृति है और कांटे प्रकृति की कठोरता का प्रतीक है प्रकृति ने दोनों हमे दिया है फूल और कांटे बस चुनाव हमे ही तो करना है हम क्या चुनते हैं
पतझड़ हमेशा ये बताने आता है इस रूखे मौसम के बाद फिर से फूलो का मौसम आएगा जिसमें पंक्षियों के मंगल गान सदा दूर तक से सुने जा सकेगें
कहानी कैसी भी हो उसका अंत अच्छा हो या बुरा ये हमारे हाथो में भले ना हो लेकिन कोशिश करने पर लोगों ने मृत्यु पर भी विजय पायी है यहाँ तो सवाल खुशियों का है तो यहाँ समर्पण संभव नहीं है किसी भी हाल में
जीवन के सबसे कठिन दौर में समर्पण संभव नहीं जो वीर होते हैं वो समर्पण नहीं करते बल्कि अपने लक्ष्य के लिए और भी समर्पित हो जाते हैं
पहाड़ कौन सी बड़ी चीज है आसमान भी गरज उठता है तुम्हारी मर्जी से ये पहाड़ कब तक कहाँ तक तुम्हारा रास्ता रोक सकती है
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शेर का आकार मायने नहीं रखता है उसका नाम ही काफी है उसकी दहाड़ दूर से भी अगर सुनी जाएं तो पूरे जंगल में हलचल मच जाती है तो उसकी उपस्थित फिर कैसी होगी
महात्मा गाँधीजी ने कहा था किसी इंसान को परखना है तो सदैव ये देखो वो अपने से नीचे के व्यक्तियों के साथ कैसा व्यवहार करता है
प्रकृति की गहराई और हमारे भीतर की गहराई को कोई समझ नहीं सकता है
संसार का कोई भी रिश्ता अपनी खुशीयों से बड़ा नहीं होता है
प्रेम के रिश्ते के आगे हर रिश्ता बौना है और सच्चा प्रेम पाना ईश्वर को पाने के समान है
किसी के साथ उसके प्रेम के साथ बह जाना ऐसा है जैसे सूर्य के प्रकाश में इंद्रधनुष का चमकना है
सच्चे प्रेम को खोकर अगर संसार में सब कुछ पा भी लिया तो वो सब कुछ पाना जैसे खुद को ही सदा के लिए खो देने जैसा है
अपने सच्चे प्रेम के साथ अपनी पूरी जिंदगी गुजारना ऐसा है जैसे अपने हर जन्म के तपस्या का फल पाने के समान है
कहानी कैसी भी हो उसका अंत अच्छा हो या बुरा ये हमारे हाथो में भले ना हो लेकिन कोशिश करने पर लोगों ने मृत्यु पर भी विजय पायी है यहाँ तो सवाल खुशियों का है तो यहाँ समर्पण संभव नहीं है किसी भी हाल में
जीवन के सबसे कठिन दौर में समर्पण संभव नहीं जो वीर होते हैं वो समर्पण नहीं करते बल्कि अपने लक्ष्य के लिए और भी समर्पित हो जाते हैं
पहाड़ कौन सी बड़ी चीज है आसमान भी गरज उठता है तुम्हारी मर्जी से ये पहाड़ कब तक कहाँ तक तुम्हारा रास्ता रोक सकती है
शेर का आकार मायने नहीं रखता है उसका नाम ही काफी है उसकी दहाड़ दूर से भी अगर सुनी जाएं तो पूरे जंगल में हलचल मच जाती है तो उसकी उपस्थित फिर कैसी होगी
प्रेम किसी का भी हो उसका मूल्य कोई भी नहीं चुका सकता है प्रेम में जितनी भी परेशानियां आएगी प्रेम उतना ही गाढ़ा होता है विश्वास उतना ही मजबूत होता है
अगर आपसे कोई सच्चा प्रेम करता है तो उसका प्रेम भाव आपको विचलित भी कर देती है और अभिभूत भी कर देती है
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वो लोग दुनिया में सबसे खुशनसीब होते हैं उन्हें अपना प्रेम मिलता है प्रेम पाना बिल्कुल वैसा ही है जैसे मोक्ष पाना
जब आप के पास शब्द नहीं हो कुछ भी लिखने के लिए तो समझ लेना चाहिए आगे भविष्य में आप को बहुत कुछ लिखना बाकी है क्योंकि जब कुछ नहीं होता तभी सब कुछ होता है उस कुछ नहीं को सब कुछ बनाने के लिए
कितना बेबस मै कितना लाचार हूँ
उसके आंखो का नीर मै ही तो उसका प्यार हूँ
कैसे मै हार जाऊँ मै ही तो उसका संसार हूँ
मै ही तो उसका जुनून मै ही तो उसका इख्तियार हूँ
वो कुछ मुंह से कहे या ना कहे लेकिन
उसकी दिल के दर्द की चीख की मै ही पुकार हूँ
कुछ कहानियाँ अधूरी रह जाती है शायद वो आधूरी हो कर भी पूरी होती है
और शायद मुझे इस बात का फकर है मैने ऐसी ही कहानी को दिल से जीया है उस कहानी का हर एक हिस्सा हर एक पल पर सिर्फ और सिर्फ मेरा अधिक था केवल मेरा
कागज पर कुछ लिखने के लिए कितना सोचना पड़ता है और कागज को लोग फाड़ कर हाथ पोछकर फेक देते हैं किसी की मेहनत सड़कों पर लोगों के जूते के नीचे रौंद दी जाती है
प्रकृति उतनी ही विशाल है जितना किसी का प्रेम भरा हि्दय
प्रकृति की गहराई मापनी हो तो किसी के प्रेम भरे हि्दय को समझने की कोशिश करनी चाहिए
ईश्वर को पाने का सबसे सरल मार्ग है किसी के प्रेम भरे हि्दय का प्रेम पाना
हर कोई चाहता है उसकी कहानी सुंदर और खुशहाल हो कौन भला चाहता है उसकी कहानी में सिर्फ दुख और तकलीफ हो
प्रेम तभी करे जब आपका हि्दय मजबूत हो और आगे आने वाले पीड़ा को सहने की हिम्मत आप के भीतर हो
हर दर्द का इलाज है इस संसार में प्रेम की पीड़ा का इलाज भगवान भी नही ढ़ूंढ़ पाए तो इंसान की भला क्या बिसात है
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प्रकृति कभी उम्मीद नहीं तोड़ती प्रकृति कभी बेरहम नहीं होती है जो प्रकृति से प्रेम करते हैं प्रकृति कभी उन्हें हारने नहीं देती
जो लोग विरानो में फंस जाते हैं वो नदी के किनारे किनारे चलते हुए आबादी तक पहुँच ही जाते हैं
प्रकृति कभी समझौता नहीं करती है प्रकृति सदैव प्रेम का प्रतीक रही है जिनके हि्दय में प्रेम नहीं बसता प्रकृति ऐसे लोगों कि कभी नहीं सुनती है
प्रकृति अपने पुत्रों को कभी हारने नहीं देती अंहकार दौलत शौहरत सब प्रकृति के पुत्रो से हर बार हारी है
यहाँ प्रेम भी विराम है हर गति तो विश्राम है नहीं कुछ पाने की तमन्ना खोने का इम्तनान है