पेड़ को क्यों काट रहे है|message of the poem on another’s sorrow in hindi

जीवन में पेड़ से बड़ा कोई प्रेरणास्रोत नहीं हो सकता जो सब कुछ देकर भी बहुत कुछ और भी देने की इच्छा रखता है

मेरे कार्यालय के पास एक बड़ा सा बरगद का पेड़ था

उस भीड़ भाड़ वाले ईलाके मे जहाँ तक नजर जाए

बस वही एक पेड़ नजर आता था

कार्यालय मे काम करने वाले लोग तथा

आस-पास के लोग भी वहाँ उस पेड़ के छांव

मे आकर घंटो बैठा करते थे

जहाँ शीतलता होती है वहीं तो खुशियाँ मुस्कुराती है

आपस मे सुख दुःख बांटते थे

वो पेड़ नहीं उनके जीवन का हिस्सा था

जहाँ कही न कहीं उस पेड़ की छांव मे बैठकर

वो सुकून के कुछ पल खुल कर जीते थे

उस भीषण गर्मी मे बस वही एक विशाल पेड़

सब का ध्यान रखता था उन्हें

ठंडी हवा तथा शीतलता प्रदान करता था

जिससे लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरती रहती थी

मै जब सुबह कार्यालय आया तो देखा

कुछ लोग पेड़ों को चारो तरफ से घेरे हुए थे

उस पेड़ को सब मिलकर काट रहे थे

आस-पास के लोग बहुत हैरान और दु:खी थे

उस पेड़ पर रहने वाले पक्षियों मे हलचल थी

शायद आज उनका आशियाना उजड़ रहा था

वहाँ पर उस पेड़ को काट कर

एक कार्यालय का निर्माण होने वाला था

शायद सबको छांव प्रदान करने वाला पेड़

सबके सुख दुःख बांटने वाला पेड़

आज अंतिम सांस ले रहा था

जहाँ उम्मीद होती है वही शांति और सुकून मिलता है

अब लोग कहां बैठकर पल दो पल सुकून से

आपस मे अपने सुख दुःख बांट सकेगे

अब आस -पास वो मुस्कान कहाँ बिखरेगी

अब ठहाको की आवाज उन

फिजाओं में कभी नहीं गूंजेगी

इस चिलचिलाती धूप मे लोगों को

कौन सहारा दे पाएगा

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