पन्ने को खाली ही रहने देते है|best hindi poetry about reality of life 2022

हवा का तेज झोका बड़े बड़े किताबों के पन्नो को उलझा देता है जिसे सुलझाने में समय लगता है

बहुत देर मैने सोचा आज क्या लिखूँ

फिर लगा आज पन्ने को खाली ही रहने देते है

क्योकि जब भी मै कुछ लिखता हूँ तो

हवा आकर पन्ने को पलटा देती है

सोचता हूँ तभी कुछ लिखूँ पन्ने पर

जब हवा पन्ने को पलटा ना सके

मेरे शब्दों मे इतनी ताकत हो

ताकि हवा के तेज थपेड़ो से मेरे शब्द लड़ सके

मेरा लिखा शब्द इतना हल्का ना हो

जो हर बार पन्ना पलट जाए

इसलिए मैने पन्ने को खाली ही छोड़ दिया

फिर भी मै भूखा रह गया

मै एक बार किसी आयोजन मे गया

वहाँ मुझे विशेष रूप से भोजन पर बुलाया गया था 

मैने वहाँ भोजन किया फिर घर आया

लेकिन फिर भी मै भूखा था 

फिर मैने याद किया मैने वहाँ क्या- क्या खाया

फिर भी मै भूखा क्यो हूँ मै ये सोचने लगा

भीड़ को केवल भीड़ बनने में ही मजा आता है

फिर लगा वो ऐसी जगह थी जहाँ 

शायद ऐसी हवा बह रही थी

जिसमें फर्क कर पाना मुश्किल था

की ज्यादा भूख किसकी थी

खाने की भूख थी या दिखावे की भूख

शायद मुझे इन दोनों में किसी की भूख नही थी

फिर भी मैंने वहाँ भोजन किया

उसके बाद भी भूखा रह गया

वो भूख ही क्या जो शांत ना हो

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