तुम्हारे सिर्फ होने से हर युग छोटा नजर आने लगता है
एक तुम्हारे नहीं होने से एक दिन भी
युग से भी लंबा महसूस होने लगता है
तुम्हारा होना सब कुछ पाने जैसा है और
तुम्हारा नहीं होना सब कुछ खोने जैसा है
अब तुम ही तय करो मै उम्मीद में जीऊँ या फिर
अंधेरे में जीऊँ क्या हम मिलेगे
हमारे दुख का अंत होगा
या फिर ये दुख मुझे हमेशा के लिए सहना होगा
क्या ये युग भी उसी पीड़ा को दोहराएगा
या फिर उस पीड़ा का सदा के लिए अंत कर देगा
हर तरफ से मै दबाव में धिरा हूँ
क्या इस कहानी का अंत इतना बुरा होगा
आज बस खामोश रहने को जी चाहता है
कम से कम मेरी खामोशी ही शायद तुमसे बात कर ले
मै जब भी आंखे खोलूं तो अपने बगल में तुम्हे देखूँ
मै रातो को चैन से सो सकूँ जिस नींद में संतोष हो
बस तुम्हे पाने का तुम्हारा साथ में होने का
जहाँ नींद मुझे बेचैन ना करे जहाँ नींद में भी
भय महसूस ना हो तुम्हे याद करके
क्या मुझे इस भय से मुक्ति कभी मिलेगी
क्या कभी मेरी प्रतिक्षा समाप्त होगी
क्या कभी मेरे सपने सच होगे
जो सपने है ही कहाँ बस जीने की चाहत है मेरी
क्या संसार में उम्मीद पूरी होती है
मै डरता हूँ उस दुनिया को जीने से
जिस दुनिया में तुम मेरे साथ ना हो
क्या सपने सच होते हैं
अब मेरे पास ही इस सवाल का जवाब नहीं है
अब डरता हूँ सपने से इसे देखने से
जहाँ हम मिल ही ना सकें
जो जीवन जीना हमारा उद्देश्य हो
वो ही शंकाओ से धिरा हो तब मुझे
आंखो से सपने देखना छोड़ देना चाहिए
जहाँ हम मिले ही ना जहाँ दर्द तकलीफ हो
जहाँ तुम शायद आओ ही ना
मै तुम्हारा इंतजार हमेशा करूँगा