1. मै असफल इसलिए था की मै कभी सफल होना ही नहीं चाहता था और जब सफल होना चाहा और उसके लिए मेहनत की तो मैं सफल हो गया
2. सफलता और विफलता को अगर हम देखे तो जैसे सुख है तो दुःख है धूप है तो छांव है रात्रि है तो सवेरा है बस इतनी सी बात हमें समझ जानी चाहिए की बुरी परिस्थिति सदैव बनी नहीं रहती है सच्चे प्रयास के द्धारा परिस्थितियों में परिवर्तन होता है
3. जब हम असफलता को एक और अवसर के रूप में स्वीकार करेंगे सुधार के लिए मिले एक और प्रयास के रूप में तो सफलता और विफलता हमें एक समान रूप सी ही प्रतीत होने लगेगी जो हमें सदैव स्थिर , धैर्यवान , परिस्थितियों का आकलन करने में सक्षम , मेहनती , अपने प्रयासों में एकाग्रचित्त होकर हर परिस्थिति को समान रूप से देखने वाली बनाती है
4. असफलता का डर सफलता मे सबसे बड़ी बाधा इसलिए है की हम परिस्थितियों के आगे समर्पण कर देते है हमारे किए जाने वाले प्रयास मे भरोसे का आभाव सदा रहता है
5. आप गाथाओं मे विश्वास करते है और अगर आप उन्हें ध्यान से पढ़ते है तो आप पाएंगे की उन गाथाओं के सबसे महान किरदार के साथ एक समय ऐसा भी आता है जब उसे लगता है की वो घुटने टेक देगा वो परिस्थितियों के आगे हार जाएगा मगर फिर वो एक बार हिम्मत जुटा कर पूरे विश्वास के साथ खड़ा हो जाता है और अंत में अपनी सबसे बड़ी असफलता पर विजय प्राप्त करके सफलता प्राप्त कर लेता है
6. विपरीत परिस्थितियों मे सफल हुए लोगों मे एक बात प्रायः समान होती है वो चोट खाये हुए जीवन की समस्याओं को झेल रहे आभाव ग्रस्त और भी बहुत सारी समस्याओं से जीवन मे जूझ रहे होते है लेकिन उनमें एक चीज जो उन्हें सामान्य से असमान्य बनाती है वो कभी हिम्मत नहीं हारना अपने लक्ष्य के प्रति संवेदनशील लगातार प्रयास करते रहना
7. थामस एल्वा ऐडिसन जिन्होंने बल्ब बनाने के क्रम मे दस हजार बार असफलता पाई फिर भी अंत में सफल हुए क्योंकि इन्होंने विपरीत परिस्थितियों मे धैर्य कायम रखा खुद पर यकीन किया और सफल हो गए
8. सफलता की पहली सीढ़ी है हमारा नजरियाँ है किसी कार्य को करने की सही वजह होनी चाहिए मन मे सकारात्मक नजरिया का बिल्कुल आभाव नहीं होना चाहिए तथा अपने कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण दिखाने की जरूरत है अगर आप के पास ये सब है तो आप सफलता की पहली सीढ़ी से चढ़कर अब दूसरी सीढ़ी की ओर बढ़ रहे हैं
9. जब हम सफल होना चाहते हैं और परिवर्तनों से भयभीत हो जाते हैं तो सफल कैसे होंगे परिवर्तन को स्वीकार करके परिवर्तन को अपने अनुरूप ढ़ालना सफलता है और परिवर्तन से भयभीत होकर चुनौती से मुंह मोड़ना असफलता है
10. जब भी असफल हो जाएं तो खुद को असफलता के बोझ तले दबाएं नहीं बल्कि अपने व्यक्तित्व को और निखारने की कोशिश करें अपनी उन कमियों को खोजने का प्रयास करें जिसकी वजह से आप असफल हो गये उन कमियों पर गंभीरता से कार्य करें और अपनी उन कमियों को खुबियों में तब्दील करने की पूरी कोशिश करें
11. जो आप की सबसे कमजोर कड़ी है उसे ही आप को अपनी सबसे मजबूत कड़ी के रूप में निखारने का प्रयास करना है जो चीज आप को भयभीत करती है वहीं निडरता देगी बस भरोसा अपने आप पर और अपने कोशिशों पर रखे
12. जब कार्य केवल सकारात्मक रूप से किया जाए तो सफलता और असफलता मायने नहीं रह जाती क्योंकि जब कोई मनुष्य सकारात्मक रुप से कार्य कर रहा है तो वो अवश्य ही विजयी बनता है असफलता को अगर हम ध्यान से देखें तो वो हमारी ही गलतियों का परिणाम होता है जिसे हम असफलता का नाम देते हैं और अगर हम जीवन में मेहनत सच्चे ढंग से करते हैं तो सफलता मिलना तय है तो हम उसे सफलता का नाम देते हैं
13. सफलता की सबसे बड़ी कसौटी खुद पर विश्वास ही तो है खुद पर विश्वास करना, असफलताओं से विचलित नहीं होना, हमेशा पॉजिटिव सोचना कर्मों और मेहनत पर भरोसा रखना ही सफलता की सीढ़ी पर व्यक्ति को निरंतर आगे बढ़ाती रहती है
14. जीवन मे कभी भी मन मे दुर्भावना नहीं रखनी चाहिए अगर आप किसी से अपनी दुर्भावना समाप्त करने के प्रति वाकई मे गंभीर है तो आपको सामने वाले व्यक्ति की बात ध्यान से सुननी चाहिए
15. अपने अनुभवों से केवल कटु भावनाओं के अम्ल को सहानभूति के रसायन से किस तरह बेअसर करें यही करते जाना है जीवन मे बहुत से लोग होते है जो हमे कड़वे अनुभव प्रदान कराते हैं हमारे भीतर उनके प्रति बेहद गुस्सा होता है लेकिन उन्हें माफ कर देना जीवन मे किसी बलिदान से कम नहीं है आप के अंदर सहानभूति है लेकिन ये इतना आसान नहीं है लेकिन इससे जीवन को जीने मे आसानी बहुत होगी
16. आपको जीवन मे संबंध मधुर बनाने है और इसे काफी आयु की ओर ले जाना चाहते है तो अक्सर हमे सामने वाले व्यक्ति के विचारों और इच्छाओ के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करने की आवश्यकता है
17. जब कोई आप से नाराज रहे तो उसकी बात को ध्यान से सुने पूरी सहानभूति से उसकी बात पर गंभीरता दिखाए और उसकी नाराजगी बेशक खत्म हो जाएगी क्योंकि उसे यही तो चाहिए सहानभूति उसके बातो का महत्व दे
18. हमे किसी से कोई काम लेना है और हमने समय सीमा भी दे दी है फिर भी अगर वो काम नहीं करता है तो हमे उस पर बिना क्रोधित हुए कहना है मै जानता हूँ आप वादे के पक्के इंसान है और अपनी समय सीमा की अवधि के अंदर आप इसे पूरा कर लेगे इसी विश्वास पर मैने ये काम आपको दिया है और इन शब्दों का असर जरूर होगा और वो व्यक्ति अवश्य ही आप का काम पूरा कर देगा
19. अधिकतर लोग खुद को आप से ज्यादा अक्लमंद समझते है किसी न किसी मामले मे नही बल्कि हर मामले में और उनके मन में ये भाव का एहसास आप उन्हे कराऐ की आप कुशल है महत्वपूर्ण है आप को उनके महत्व का एहसास है और आप को ये स्वीकार है
20. संसार मे मनुष्य ने आज तक जो भी सफलता प्राप्त की है वो अपना लक्ष्य निर्धारित करके फिर उसमें प्रयास करके ही लक्ष्य प्राप्त की है कोई भी महान से महान अविष्कार जिसका लाभ आज हम सब ले रहे हैं ये तभी संभव हो सका जब इसके लिए लक्ष्य को निर्धारित किया गया
21. लक्ष्य तो उद्देश्य ही होता है जिसका साफ मतलब होता है की हम निरंतर अपने प्रयासो के द्धारा आगे बढ़ते जा रहे हैं कुछ भी प्राप्त करने के लिए लक्ष्य को निर्धारित करना बहुत ही आवश्यक होता है लक्ष्य किसी भी कार्य मे सफलता हेतु उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की जीवन के लिए जल और वायु
22. महत्वपूर्ण ये नहीं की आप कल क्या रह चुके हैं और आज आपकी क्या स्थिति है बल्कि महत्वपूर्ण तो यह है की आप कल कहाँ पहुंचाना चाहते हैं हमें कुछ भी करने से पहले ये समझना होगा की हमारी सही जगह कौन सी है हम कहाँ जाना चाहिये है इस नजरिये से आप अपना भविष्य को देखे और दस सालों के बाद मै कहाँ पर खुद को देखने की उम्मीद करता हूँ क्योंकि इसे स्वंय आप ही जानते है आपका लक्ष्य क्या है और आप कहाँ पहुंचना चाहते हैं
23. सदैव प्रगति के बारे में सोचे, प्रगति के बारे में विश्वास करें और प्रगति के लिए कोशिश करें खुद से बात करें आप ने जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसमें क्या कमियाँ रह गयी है आप ये भी तय करे की आप अपनी सोच को आकर दे तभी आपके लक्ष्य की ऊँचाई आपके रवैये से आपके समूचे व्यक्तिव से असंभव को संभव कर देगा
24. हमेशा इस बात का ध्यान रखें की आपके सोच का स्तर भी ऊंचा होना चाहिए क्योकि आज आपका माहौल ही आगे आपके भविष्य को निर्धारित करेगा जब भी लक्ष्य को निर्धारित करे तो कभी समर्पण नहीं करने वाला भाव आपके भीतर होना चाहिए जब ऐसा होगा तो किसी भी दमनकारी परिस्थितियों मे आप कभी समर्पण नहीं कर सकते वो धुटनो के बल चलने के लिए विवश नहीं हो सकते उनकी सांस ही सफलता पर टिकी होनी चाहिए उनका जीवन सफलता के लिए समर्पित होना चाहिए ऐसा ही लक्ष्य निर्धारण सर्वश्रेष्ठ होता है
25. सदैव लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें बिना ये सोचे की आप सफलता प्राप्त करेंगे या असफलता क्योंकि जो व्यक्ति का ध्यान इन सबसे ऊपर केवल लक्ष्य प्राप्त करने के प्रयासों पर केंद्रित होता है वही सफल होता है