Poem about Life in Hindi | Hindi Poems on Life
हर रोज मैने पत्तो को पेड़ से अलग होकर
हवाओ के साथ उड़ते देखा है
ना जाने कितने पत्ते है जो पेड़ की शाखाओं से
अलग होकर हवाओ में उड़ जाती है
पेड़ के दायरे से बहुत दूर हो जाती है
लेकिन पेड़ कभी उन पत्तो को उड़ने से नहीं रोकता
बल्कि पेड़ उन अलग हुए पत्तो को
अपनी हवा से और भी ऊंचा उड़ने की ताकत देता है
ताकि जो मंजिल पत्तियों की है वो वहां पहुंच सके
पत्तियाँ स्वंय टूट जाती है जबकि पेड़
टहनियों के भार को भी सहता है
जिस पर पत्तियाँ झूलती रहती है
poems on nature in hindi
मिट्टी का ये छोटा सा घर कुछ इस कदर कच्चा है
ठंडक है इसमें सबसे ज्यादा पुरे गाँव में सबसे अच्छा है
हर कोई आता है यहाँ ठंडक लेने के लिए
बदले में सुराख कर जाता है
हर जगह इसके दीवारो पर निशान हैं
ये घर नहीं जैसे जख्मों का रेगिस्तान है
मिट्टी टूट टूट कर गिरती रहती है इस घर से
बस ताज्जुब इसी बात का है
ये घर अब तक गिरा क्यों नहीं है
आज भी ये घर खड़ा है सही सलामत
अब भी ठंडक देता है ये तो
सुखी जीवन पर कविता
हाँ ये मै हूँ मै ही तो हूँ जो तुम्हारे इंतजार में
ना जाने कब से बैठा हुआ है
इसे ये कहाँ फर्क पड़ता है की तुम आओ या ना आओ
लोगों की बातो से इसका दिल चोटिल तब भी हुआ था
आज भी लोगों की बातो से इसका दिल चोटिल है
बस इसे तुम्हारा इंतजार करना ही बस अच्छा लगता है
इसने हमेशा ही ऐसा किया है तुम्हारे लिए
हर बार ये बैठा रहा है तुम्हारे लिए
हर बार तुम आई हो इसके लिए
हर युग में ऐसा ही तो होता आया है
ये प्यार एक दो दिनो का कहाँ था
ये तो सदियों का प्यार है हमारा तुम्हारा