Finance kya hota hai| finance in hindi| finance kya hai

व्यवसायिक गतिविधियां फाइनेंस के बिना संभव नहीं है फाइनेंस का मतलब होता है मुद्रा के प्रबंधन का ज्ञान और विज्ञान धन को मैनेज कैसे किया जाता है यही फाइनेंस कहलाता है मुद्रा का प्रबंधन करना ही फाइनेंस है एक संस्था के माध्यम से देखे तो मुद्रा का प्रवाह जो बैंक कोई संस्था स्कूल काॅलेज के द्धारा हो सकता है फाइनेंस एक तरह से व्यवसाय का ही अंग है जहाँ उद्देश्य सिर्फ लाभ प्राप्त करना ही होता है

Finance kya hota hai| Finance Meaning, Definition in Hindi

फाइनेंस एक ऐसा शब्द है जो मनुष्य के जीवन को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है सरल शब्दों में कहे तो पैसे से संबंधित छांचा जिसके सहारे आर्थिक स्थिति को व्यवस्थित किया जाता है
सुचारू रूप से तरक्की करने के लिए पैसे का सही तरीके से किया गया इस्तेमाल जिसमें हर कमियों की पूर्ति बेहतरीन तरीके से किया जाए और उसे व्यवस्थित करने के लिए एकत्र किया गया धन को ही फाइनेंस कहते हैं ताकि कार्य में कोई बाधा नहीं हो चाहे वो किसी कंपनी का कार्य हो जिसमें ऑफिस के खर्च को कर्मचारियों की तन्ख्वाह को हर तरीके से व्यवस्थित करना उसके लिए जो धन की जरूरत पड़ती है वही फाइनेंस है चाहे वो घर की व्यवस्था हो या किसी देश की व्यवस्था

finance kya hota hai

फाइनेंस या वित्त की परिभाषाएं

व्यवसायिक गतिविधियां फाइनेंस के बिना संभव नहीं है फाइनेंस का मतलब होता है मुद्रा के प्रबंधन का ज्ञान और विज्ञान धन को मैनेज कैसे किया जाता है यही फाइनेंस कहलाता है मुद्रा का प्रबंधन करना ही फाइनेंस है
एक संस्था के माध्यम से देखे तो मुद्रा का प्रवाह जो बैंक कोई संस्था स्कूल काॅलेज के द्धारा हो सकता है फाइनेंस एक तरह से व्यवसाय का ही अंग है जहाँ उद्देश्य सिर्फ लाभ प्राप्त करना ही होता है
फाइनेंस का संबंध वित्त, वित्तीय अर्थव्यवस्था, पूंजी निवेश, पैसे का प्रबंधन, अर्थव्यवस्था, पूंजी देना, मालगुजारी, पूंजी इनका सीधा संबंध अर्थव्यवस्था से ही जुड़ा होता है
फाइनेंस हमे बताती है हमे अपना पैसा कब और कहाँ व्यय करना है ताकि जिससे आर्थिक लाभ प्राप्त हो सके
आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपलब्ध कराया गया धन ही तो फाइनेंस कहलाता है बहुत ही साधारण और आसान भाषा में इसे ऐसे समझा जा सकता है सामान की आपूर्ति और उसका प्रबंधन किसी चीज की कमी और उसे पूरा करने के बीच की जो प्रक्रिया है वही तो फाइनेंस है

फाइनेंस का मतलब क्या होता है

अपनी आवश्यकता की पूर्ति जिसका संबंध विकास से है आर्थिक स्वतंत्रता पाने के लिए धन की कमी को पूरा करना और फिर उसे निवेश करना एक व्यवस्थित तरीके से
किसी कार्य की सफलता उसपर व्यय की गई पूंजी पर निर्भर करती है और उस पूंजी की व्यवस्था को ही फाइनेंस कहते हैं फाइनेंस वो प्रबंधन है जो छोटे से छोटे स्तर से लेकर बड़े से बड़े स्तर तक को धन का सुनोयोजित तरीके से उपयोग की कला सीखाती है किसी देश की अर्थव्यवस्था उसके फाइनेंस पर ही टिकी होती है ये एक प्रकार के चेन की तरह है हर कोई इससे जुड़ा है जैसे कोई व्यक्ति अपनी आवश्यकता की आपूर्ति के लिए धन को खर्च करता है उसे मैनेज करने के लिए या फिर अपनी आवश्यक की पूर्ति के लिए बैंक जैसे संस्थानो से लोन लेता है कही ना कही धन एक जगह स्थिर नहीं रहता बल्कि उसका उपयोग निरंतर रूप से हो रहा होता है इससे बाजार मंदी की ओर नहीं जाता अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है कही ना कही देश की तरक्की इससे जुड़ी होती है विस्तार पूर्वक इसे समझे तो कोई भी काम को करने के लिए पैसे जरूरी होते हैं पैसे से जो काम कर रहे हैं उसमें जो भी कमी है उसे मैनेज पैसे से किया जाता है ताकि काम सुचारू ढंग से चलता रहे अच्छे तरीके से बैंकिंग क्रेडिट निवेश ऋण इन सबका सही रूप से प्रबंधन ही तो फाइनेंस है
इसे और आसान भाषा में समझते हैं कोई गृहणी अपने किचन में मौजूद सामान से परिवार के लिए भोजन संबंधित क्रियाकलापों को सुनिश्चित करती है जैसे कितना सामान है आटा, चावल, चीनी कौन सा सामान कम है इन सब के लिए उस गृहणी को मिला घन जो खर्च कर रही है उसे मैनेज कर रही है वही तो फाइनेंस कहलाता है

फाइनेंस कितने प्रकार के होते हैं

फाइनेंस एक प्रकार की कला भी है और कही ना कही विज्ञान भी है किसी भी व्यवसाय के निर्माण की प्रक्रिया के हर एक बिंदु की मूलभूत आवश्यकता है जिससे व्यवसाय संचालित होता है

फाइनेंस कितने प्रकार के होते हैं

व्यक्तिगत वित्त (personal finance)

व्यक्तिगत वित्त को पर्सनल फाइनेंस के रूप में ही इंगित किया जाता है इसका तात्पर्य है अपने निजी निवेश के द्वारा अपने वित्तीय लक्ष्य को प्राप्त करने की मनोदशा ये रणनीति के तहत व्यक्ति अपने आर्थिक स्थिति के अनुसार व्यक्ति अपनी कमाई की क्षमता से एक निश्चित सीमा में अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश करता है जिसमें व्यक्ति का निवेश, उसकी संपत्ति, जीवन बीमा योजना, चिकित्सा संबंधी अन्य बचत और निवेश का समायोजन निहित होता है
साधारण शब्दों में निजी जरूरत के अनुसार अपने पैसा का उपयोग अलग – अलग जगह इन्वेस्ट करना तथा उसे समय- समय पर व्यवस्थित करते रहना ही व्यक्तिगत वित्त कहलाता है

व्यक्तिगत वित्त में शामिल होते हैं :-

  1. अप्रिय अनिश्चित अप्रत्याशित घटनाओं से सुरक्षा
  2. निवेश द्धारा धन को संचित करने का उद्देश्य
  3. अपने बुढ़ापे की अवस्था में आर्थिक स्थिति से सुरक्षा प्राप्त करना
  4. किसी खरीदारी या लेन देन की व्यवस्था को सुनिश्चित करना
  5. अपने ऊपर आर्थिक ऋण के भुगतान की सुनिश्चित व्यवस्था करना

सार्वजनिक वित्त (public finance)

सरकार के द्धारा राज्यों, नगरपालिका, प्रांतों से संबंधित दीर्घकालिक निवेश को सार्वजनिक वित्त कहते हैं इसके अंतर्गत आय के वितरण, संसाधन के आवंटन, आर्थिक स्थिरता, फंड, इत्यादि को ध्यान में रखकर किया जाता है सरकार द्धारा सरकारी योजनाओं में सरकारी संस्थाओं में
इसके अंतर्गत केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सार्वजनिक निकाय, सार्वजनिक प्राधिकरण के द्धारा वित्त प्रबंधन किया जाता है जहाँ सरकारी व्यवस्था के अंतर्गत बुनियादी ढांचे सुविधाओं पर निवेश किया जाता है

सार्वजनिक वित्त में शामिल होते हैं

  1. बिजली संबंधित व्यवस्था सुनोयोजित करने में वित्तीय निवेश करना
  2. सड़क संबंधित व्यवस्था सुनोयोजित करने में वित्तीय निवेश करना
  3. संचार व्यवस्था सुनोयोजित करने में वित्तीय निवेश करना
  4. स्वास्थ्य व्यवस्था सुनोयोजित करने में वित्तीय निवेश करना
  5. शिक्षा संबंधित व्यवस्था सुनोयोजित करने में वित्तीय निवेश करना
  6. साफ – सफाई संबंधित व्यवस्था सुनोयोजित करने में वित्तीय निवेश करना

निगम वित्त (corporate finance)

कंपनी के द्धारा वित्तीय सुधार करके कंपनी में आर्थिक स्थिति को और भी मजबूत करना उसकी वैल्यू को बढ़ावा देना होता है इसमें वित्तीय सुधार के साथ – साथ धन में वृद्धि करना और जोखिम भरे अवसरों को काफी हद तक कम करने की कोशिश होती है वो धन जो कंपनी को चलाने के लिए उपयोग होता है जिसके उद्देश्य हर दिन के साथ कंपनी की प्रगति और कंपनी की स्थिति में सुधार के साथ आर्थिक लाभ की भी आवश्यक निहित होती है जो भी उधार है कंपनी पर उससे मुक्त होना ताकि कंपनी को वास्तविक रूप में लाभ मिले

निगम वित्त मे शामिल होते हैं

  1. शेयरधारकों के फंड पर ध्यान देना उनको लाभ मिले उनके शेयर के मूल्य में वृद्धि हो जिससे कंपनी को भी लाभ मिले
  2. ऋण के रूप में उपलब्ध धन स्त्रोत की खोज करना
  3. भविष्य के निवेश के लिए शेयरधारकों को प्रोत्साहित करना

सार्वजनिक वित्त के तत्व

आर्थिक विकास :- आर्थिक विकास वह प्रक्रिया होती है जिसमें किसी देश के उस देश के राज्यों में प्रति व्यक्ति आय की आय में लगातार वृद्धि होती रहती है
आर्थिक विकास का तात्पर्य है पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष उत्पादन संबंधित क्षेत्रों में तथा आपूर्ति संबंधित सेवाओं में अपेक्षाकृत वृद्धि प्राप्त करना होता है


आर्थिक स्थिरीकरण :- किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरीकरण ही आर्थिक स्थिरीकरण की ओर इंगित करती है जहाँ अर्थव्यवस्थाओं में कानूनी तौर पर राजनीति तौर पर सरकारी नीतियों के कारण देश की या राज्य की अर्थव्यवस्था स्थिर बनी रहती है जिससे देश के मुद्रा कोष में राष्ट्रीय आय में वृद्धि संतुलित अवस्था में होती है

सार्वजनिक व्यय :- सार्वजनिक व्यय का मतलब होता है जनता की आवश्यकता पर खर्च किया गया धन जिसका मुख्य उद्देश्य आम जनता के जरूरतों को पूरा करना होता है जो सामाजिक व्यवस्था को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है जैसे जनता के स्वास्थ्य के लिए अस्पताल के निर्माण में व्यय किया गया धन, सड़क, बिजली, पानी, बुनियादी सुविधाओं में सामाजिक सुरक्षा इत्यादि में

सार्वजनिक राजस्व :- किसी भी सरकार की आमदनी का स्त्रोत सरकार को प्राप्त होने वाला राजस्व ही होता है जिसका उपयोग सरकार देश और राज्य के विकास के लिए करती है
ये दो तरह के होते हैं कर राजस्व और दूसरा गैर- कर राजस्व

कर राजस्व :- इसके अंतर्गत आयात निर्यात पर लगाए गए शुल्क, कॉर्पोरेट कर इत्यादि शामिल हैं
गैर-राजस्व :- सार्वजनिक क्षेत्रों में शुल्क, जुर्माना, दंड अनुदान शामिल हैं

सार्वजनिक ऋण :- इसका तात्पर्य है सरकार एवं सार्वजनिक संस्थानों द्धारा अपने निरंतर बढ़ती सार्वजनिक व्यय की पूर्ति हेतु राजस्व आय के अतिरिक्त देश विदेश में ऋण उधार लेकर आय का स्त्रोत जुटाने से है यह अवधारणा प्रोफेसर डाल्टन की है

वित्तीय प्रशासन :- वित्तीय प्रशासन के द्धारा बजट तैयार करते वक्त किन बातों पर ध्यान दिया जाता है इसपर कार्य करना कैसे बजट तैयार किया जाता है
इसे पारित कैसे किया जाता है इन सबकी जिम्मेदारी वित्तीय प्रशासन पर होगी है

फाइनेंस के फायदे क्या है?

फाइनेंस के फायदे क्या है?

फाइनेंस के फायदे क्या है?

1. इसमें इंवेस्ट करने के तरीके उसका लाभ अलग रूपो में अलग -अलग क्षेत्रों में लिया जा सकता है जैसे पब्लिक फाइनेंस, काॅर्पोरेट फाइनेंस, पर्सनल फाइनेंस

2. एक सफल व्यवसायी बनकर आर्थिक स्थिति में सुधार करके अपने आय में वृद्धि कर सकते हैं फाइनेंशियल सुरक्षित हो सकतें है

3. इन्वेस्ट करके अच्छा प्रोफिट कमा सकता है

फाइनेंस कंपनी में क्या काम होता है ?

किसी भी फाइनेंस कंपनी का मुख्य कार्य होता है ज्यादा से ज्यादा इंवेस्ट करना, ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को अपनी तरह आकर्षित करना, अच्छे तरीके से फंड की व्यवस्था करना, कम ब्याज में लोन प्राप्त करने की हर संभव कोशिश सही तरीके से इन्वेस्ट करना किसी व्यक्ति के लिए या फिर किसी बड़े संस्थान के लिए

फाइनेंस कंपनी क्या है?

एक ऐसी संस्था या संगठन जो ऋण मुहैया कराता है किसी व्यक्ति विशेष को जिसे आवश्यकता होती है या फिर किसी बिजनेस इकाई को | यहाँ बैंकों से बिलकुल भिन्न रूप से कार्य को संपादित किया जाता है यहाँ बैंकों की तरह उपभोक्ताओं को नगद जमा करने जैसी व्यवस्था पर पूर्णत पूर्णविराम लगा होता है और ना ही बैको के अनुरूप यहाँ उपभोक्ताओं को वैसी सुविधा मिलती है क्योंकि फाइनेंस कंपनी के कार्यशैली वस्तुतः भिन्न है

फाइनेंस कंपनी क्या है?

best financial tips आपके फायदे की बातें

  1. कोई भी निवेश करने से पहले आकलन करना सर्वथा हितकारी होता है निवेश करने के बाद वस्तुतः क्या बचत हो पा रहा है इसका आकलंन करना फाइनेंशियल प्लानिंग निवेश के लिए सबसे जरूरी टिप्स है
  2. किसी भी समय भविष्य में कोई भी अप्रिय घटना या अवांछित धन का व्यय हो सकता है इससे बचने के लिए आपने कौन सा उपाय किया है भविष्य की चुनौतियों के लिए प्रयाप्त धन का संग्रह किया है इमरजेंसी फंड सबसे जरूरी होता है किसी भी निवेशक के लिए निवेश के बाद भी उसके पास इमरजेंसी फंड का विकल्प होना चाहिए
  3. हेल्थकेयर संबंधित जरूरी इंश्योरेंस आप के पास होना ही चाहिए क्योकि आज के अत्याधुनिक युग में जिस गति से विकास हो रहा है उसी गति से नयी – नयी बिमारियी की दस्तक आए दिन जीवन में होते रहती है इससे बचने के लिए हेल्थकेयर इंश्योरेंस होना ही चाहिए
  4. आज के युग में इंश्योरेंस लेना सुरक्षा की गारंटी बन चुका है सीधे और सरल शब्दों में कहे तो भविष्य में आर्थिक स्थिति डमाडोल, स्वास्थ्य संबंधी समस्या किसी भी आपातकालीन परिस्थिति से बचने के लिए बैकअप प्लान ही तो इंश्योरेंस लेना ही तो है
  5. भविष्य में अगर आर्थिक स्थिति जो हमेशा ही असंतोष देती है जहाँ भविष्य के लिए आर्थिक सुरक्षा हमेशा चिंता का विषय बना रहे तो आपको लाॅन्च टर्म इन्वेस्टमेंट की ओर जरूर जाना चाहिए जहाँ आर्थिक स्थिति के प्रति तो तलवार हमेशा सर पर लटकी रहती है कम से कम आप उससे मुक्त हो सकते हैं
  6. जीवन में सिर्फ अपने शौक को पूरा करने के लिए के लिए जोश में आकर बातों ही बातों में आकर लोन या फिर उधार लेने से हमेशा बचे क्योंकि आपकी आर्थिक स्थिति इससे बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है आपकी आमदनी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इसे चुकाने में ही व्यय हो जाएगा

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