जरूरी नहीं जो आज तक
आपने किया वो महत्वपूर्ण था बल्कि
जो आपने आज तक किया ही नहीं
सबसे महत्वपूर्ण तो वही हिस्सा था
जिसे आपने पीछे छोड़ दिया
इस भाग दौर में तो क्यों ना अब
वो किया जाए जो नहीं किया क्योंकि
अगर अब भी नहीं किया तो फिर कब ?
क्या चाहिए तुम्हे क्यो भटक रहे हो आज तक
अब तो अपने दोनो पंखो को फैलाओ और
उड़ चलो वहाँ जहाँ जाने के लिए निकले थे
मगर भटक गए राहो में
अपने दोनो पंखो को फैलाओ और महसूस करो
मंजिल तुम्हारी राह देख रही है
तुम अब भी वही हो जो तुम पहले थे
कुछ भी नहीं बदला है बस तुमने हार मान ली है
बिना उड़े ही तुमने दूरी का अनुमान
बहुत ज्यादा लगा लिया है तुम्हारे पंख अब भी सलामत है
बस देरी है पंखो को फैलाकर एक लंबी छलांग मारने की
फिर देर किस बात की लगाओ वो छलांग
जिससे तुम्हे तुम्हारा वो गौरव प्राप्त हो
जो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा है और कोई भी
उस गौरव को दूर तक पाने में
तुम्हारे मुकाबले का कोई मौजूद ही नहीं
इस बार दोनो पंखो को फैलाकर
ऐसा उड़ो की पिंजरे को भी तुम ले उड़ो बता दो
तुम कैद में भी आजाद थे हमेशा से
बस कैदी तुम अपने विचारों के बने हुए थे अब तक
तुमने जब सच में ठान ली तो फिर
इस पिंजरे की भी क्या मजाल
जो तुम्हे रोक ले उड़ने से
तुम अपने उन विचारों के कैद से आजाद हो
जिन विचारों ने तुम्हे हमेशा उड़ने से रोका
पैरो को बेरियो से जकड़े रखा
तुम हिम्मत ही नहीं जुटा पाए उड़ने की इसलिए
अब तक कैदी थे जिस दिन तुमने ठान लिया
तभी से तुम आजाद हो गये