आज चांद खामोश है जैसे आज आसमान में ठहर सा गया हो
उसने आज आगे बढ़ने से जैसे मना कर दिया हो
हवाएँ भी शांत है जैसे लगता है हवाएँ रूक सी गयी है
ऐसा लग रहा है सब कुछ शांत सा क्यो हो गया है
ये वक्त ठहर सा क्यो गया है और इस ठहरे से वक्त में
तन्हाईयों ने मुझे बुरी तरह से घेर रखा है
जहाँ तक नजर जा रही है मै खुद को अकेला पा रहा हूँ
दूर दूर तक कोई भी मुझे नहीं दिख रहा है
जिससे मै पूछ सकूँ सब ठहर सा क्यो गया है आज क्या हो रहा है
फिर मैने दूर एक बहुत ही चमकती सी रौशनी देखी
जो कोई एक लड़की है शायद जिसे देखकर ऐसा लग रहा है
उसने सितारों को कपड़े बना कर पहन लिया है चेहरे पर
चंद्रमा की रौशनी में मुझे सूर्य का तेज दिखाई दे रहा है
सब कुछ बस उसके आने से थम गया है
वक्त भी जो कभी नहीं रूकता उसने खुद को भी रोक लिया है
बस उसे देखने के लिए मगर कौन है ये क्या मै इसे जानता हूँ
क्या मैने इसे कभी देखा है कही ये सवाल मैने बहुत पहले खुद से किया था
जब तुम्हे मैने पहली बार देखा था तब भी कुछ ऐसा ही तो हुआ था
आज तो तुम्हारा जन्मदिन है और ये सब तो
बस तुम्हे जन्मदिन की बधाई देने आए हैं
जैसे तुम ही प्रकृति हो और ये सब बस तुमसे मिलने आज आऐ है
तुम्हारी एक झलक पाने के लिए सब कुछ जैसे भूल गये हो
बस किसी तरह की इनमें होड़ मची हुई हो की
तुम्हे पहले कौन देखेगा सब एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हो
और मै इस अद्धभुत घटना का एकलौता साक्षी बन रहा हूँ आज
मै भी इस पल में इस छण में इस प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे निकलना चाहता हूँ
तुम्हारा हाथ पकड़कर मै तुम्हे वहाँ लेकर तेजी से जाना चाहता हूँ
जहाँ हम दोनों के अलावा कोई भी ना हो जहाँ मै बस तुम्हे देखता ही जाऊँ
बस देखता ही जाऊँ सारी जिंदगी बस तुम्हे ऐसे ही देखते हुए