मैने जो आज अपने कमरे की खिड़की को जब खोला है
जैसे प्रकृति ने खुलकर मुझसे कुछ बोला है
बाहर से आती ठंडी हवाओ के झोके ने शोर मचा रखा है
ना जाने किसे ढूंढ रहे हैं शायद
अब तो हर ओर तोड़ फोड़ मचा रखा है
ये हवाएं नहीं ये तो प्रकृति का भाग है
इन ठंडी हवाओं की ठंडक शांत करती
कमरे की धधकती आग है
अब तो हर ओर ठंडक और शीतलता है
ये तो चंद्रमा की फैली आवाज है
ये मेरा कमरा आज मुझे बेगाना लग रहा है
जहाँ सूरज की आग नहीं यहाँ तो ठंडक
और शीतलता का ठिकाना लग रहा है
मौसम क्यों बदल रहा है
ये धधकती आग ठंडक बनकर जल रहा है
हो ना हो ठंडी हवाएं बनकर कोई ना कोई तो चल रहा है
ऐसी ठंडक मैने कभी नहीं देखी थी कमरे में
ये सूरज का नहीं ये तो आज चंद्रमा का जमाना लग रहा है
सूरज के घर में आज से चंद्रमा का ठिकाना लग रहा है