हाँ मै उस दुनिया में रहता हूँ जहाँ केवल प्रेम बसता है
जहाँ केवल प्रेम की मधुर धुन से हर सुबह होती है
प्रेम की शहनाई से हर शाम ढलती है
यहाँ की हवाऐं भी प्रेम में ही बहती है
यहाँ जहाँ तक नजर जाती है वहाँ तक बस
प्रेम ही प्रेम दिखाई देता है
जो आत्मा तक को तृप्त कर दे
ये प्रेम की नगरी है जहाँ का मै निवासी हूँ
जहाँ बस और बस प्रेम ही बसता है
यहाँ आना आसान है हर किसी के लिए
मगर जो यहाँ एक बार आ जाता है
फिर लाख चाहकर भी लौट नहीं सकता है
ये तो वो जगह है जहाँ कांटों में भी प्रेम झलकता है
यहाँ ना दुख है ना ईष्या है ना क्रोध है ना लालच है
यहाँ अगर कुछ है तो बस प्रेम ही प्रेम
जो सिर्फ हमारा है केवल हमारा
क्योंकि इसे हमने मिलकर बसाया है
प्रेम के लहू के हर एक बूंद से इसे सीचा है
तुमने और मैने बड़ी मेहनत से