उसकी मुस्कान तुम्हारे जैसी है
उसकी आंखे उसके बाल उसके कान
उसकी मासूमियत से भरा चेहरा
उसकी तुम्हारी तरह खिलखिलाकर बिना बात के हंस
देना सब तुम्हारे जैसी ही है
उसकी नन्ही दो आंखों से
मुझे देखना बिल्कुल तुम्हारे जैसी ही तो है
जैसे तुमने मुझे पहली बार देखा था
आज उसने भी मुझे ठीक पहली बार वैसे ही देखा
उसकी नाराजगी भी तुम्हारे जैसी है
तुम्हारे जैसे ही गुस्से में चिढ़ कर मुझे देखना
उसकी हर छोटी सी नन्ही आदत मुझे
तुम्हारी बहुत बहुत याद दिलाती है
ऐसा लगता है ये तो तुम ही हो जैसे
मै तुम्हारे बचपन को देख रहा हूँ और
शायद तुम्हारे बचपन को मै जी भी रहा हूँ
जैसे इसका हर एक पहलू तुम्हारा ही तो है
उसकी हर बात तुम्हारी ही तो है
वो हमारे प्रेम की सबसे अनमोल निशानी है
हमारा प्रेम इतना कमजोर था क्या प्रिय
तुम्ह घर से नाराज होकर चली गयी हमे छोड़कर
मै उसे नहीं संभाल पा रहा हूँ
वो तुम्हें ढूँढती रहती है हर वक्त
मै क्या करूँ मै अपनी पीड़ा उसे भी नहीं बता सकता
वो तुम्हें याद करके बहुत रोती है
मै उसे चुप नहीं करा पाता हूँ अक्सर
उसकी नन्ही दो आंखे मुझमें शायद
वो तुम्हे ही ढ़ूढती रहती है
तुम लौटकर आ जाओ प्रिय
उसे और मुझे हर एक पल एक क्षण बस
हमे तुम्हारी जरूरत है तुम्हारे बिना
हमें रहना नहीं आता है और हमने सीखा भी नहीं है
तुम लौटकर आ जाओ प्रिय
तुम लौटकर आ जाओ प्रिय