कभी मै उस जीवन को जीता था
जो सब लोग जीते हैं
मै भी बस जी रहा था
लेकिन असली खुशियों की
तलाश नहीं थी फिर
एक दिन सब बदल गया और
मेरे जीवन को देखने का
ढंग भी बदल गया फिर
मै उस दिशा में नहीं भागा
जिस दिशा में सारे लोग
अंधाधुंध आंख पर पट्टी
बाँध कर भाग रहे थे
मैने उस दिशा के ठीक
विपरीत दिशा का चुनाव किया
जहाँ मेरे आंखों पर पट्टी नहीं बंधी थी
मै सब कुछ ठीक से देख रहा था और
मै उस रास्ते पर इत्मिनान से
धीरे धीरे बढ़ रहा था
जब रास्ता समाप्त हुआ तो
मैने पीछे मुड़कर देखा
तो सब कुछ शांत बिल्कुल
शांत एक अलग ही
आनंद की अनुभूति दे रहा था मुझे
फिर मै उस विपरीत रास्ते को देखा
जिसे मैने चुनने से इंकार कर दिया था
जहाँ लोग अब और भी अधिक परेशान
आंखों पर पट्टी बाँधे अब
पागलो की तरह भाग रहे थे
वो पहले से ज्यादा बेचैन
और व्यथित दिख रहे थे
मैने फिर उधर उस दिशा से
अपनी नजर हठा ली और
खुद के इस रास्ते के चयन के लिए
खुद को ही धन्यवाद कहा
मेरे रास्ते के अंतिम सीमा पर एक द्धार था
जिसपर लिखा था मोक्ष द्धार
मै खुश था क्योंकि मैं उस द्धार के
भीतर प्रवेश कर रहा था
जिस द्धार तक पहुँचना सबके लिए
आसान है लेकिन कोई
इस द्धार तक नहीं पहुंच पाता है
क्योंकि वो इस द्धार तक
पहुँचना ही नहीं चाहते
बस यही हकीकत है
जो उस द्धार तक पहुंचना चाहता है
वो पहुंच ही जाता है
कितना आसान है
उस द्धार तक पहुँचना
पर इसे मुश्किल बना दिया है लोगों ने
इस द्धार तक पहुँचने के लिए
आपको विपरीत दिशा में चलना ही पड़ेगा
खुद से बाहर आकर अपने
आंखों पर बंधी पट्टी को उतारकर
हमेशा के लिए फेकना होगा और
अपने उचित मार्ग पर
कदम बढ़ाना होगा
जो पट्टी आंखों पर बंधी है
वो आपको अभी नहीं तो
आज कल में मुंह के बल
नीचे गिराएगी ही
फिर चोट बहुत ज्यादा आएगी
अब समय आ गया है
उस पट्टी को जो आंखों पर बंधी है
उसे हमेशा के लिए उतार कर फेक दे और
मार्ग तुरंत बदल ले जहाँ आपकी यात्रा
अत्यंत आनंदमय होने वाली होगी
जो राह मोक्ष द्धार तक ले जाएगी