मै कल शाम अपने छत पर टहल रहा था
शायद मेरे हाथ मे चाय की एक प्याली भी थी
मै अपने काम के बारे मे सोचकर परेशान था
तभी मैने सामने सड़क पर एक छोटे से
बच्चे को खेलता हुआ देखा
जिसे देखकर मुझे अच्छा लग रहा था
मै उसकी मुस्कुराहट को इन सुनहरे
पलो मे कैद कर लेना चाहता था
फिर मैने देखा उस बच्चे की माँ भी वहाँ पर आ गयी
दोनों खिलखिलाकर हंस रहे थे सड़क पर खेल रहे थे
ये देखकर मुझे एक अजीब सा सुकून मिल रहा था
शायद उनकी हंसी को देखकर
मै अपनी सारी परेशानी भूल गया था
तभी मैने सामने के छत से किसी को
आपस में बात करते सुना की उस बच्चे को कैंसर है
ये सुनकर मै सन्न सा हो गया
फिर मैने उस बच्चे की माँ की तरफ देखा
जिनके चेहरे पर एक अजीब सा सुकून था
उस बच्चे की हंसी और भी तेजी से गूंज कर
मेरे कानो तक पहुँच रही थी
मै समझ गया था की जीवन
खुल के जीने का ही नाम है
उस बच्चे और उसकी माँ ने
मुझे जिंदगी के मायने सिखा दिए