चांद की रौशनी में मैने तुम्हे देखा था
छत के एक कोने में खड़ी अपनी खामोशी से बात कर रही थी
शायद चांदनी रात में खुद से ही मुलाकात कर रही थी
मै अब किसे देखूँ इसी सोच में मै पड़ गया है
आसमान के उस चमकते चाँद को या जो चाँद
धरती पर उतर आया है उसे देखूँ
आसमान के चाँद पर सूरज का हक है
लेकिन जो चाँद धरती का है जो मेरे सामने है
उस चाँद पर तो सिर्फ मेरा हक है
अब मेरी एक ही ख्वाहिश है आगे बढकर
कुछ कदमों का फासला तय करके अब
हर वो दूरी जो मेरे और धरती के चाँद के बीच है
उसे अब सदा के लिए मिटा दूँ
धरती के चाँद को अपने गले लगाकर उसे सदा के लिए
अपना बनाकर इस युगो और कल्पो की दूरी को
सदा सदा के लिए खत्म कर दूं हमेशा हमेशा के लिए
फिर धरती का चाँद मुझे कभी अकेले तन्हा ना दिखाई दे
जब भी दिखे तो मेरे साथ अपनी शीतला कि सबसे गहरी
और अद्धभूत मुस्कान के साथ जिसकी शांत चित से मै
हर कर्म के बंधन से सदा सदा के लिए मुक्त हो जाऊँ फिर
हम दोनों सदा के लिए एक हो कर प्रकाश बनकर फैल जाएं