आसमान की चांदनी को रात में देखा था मैने अचानक से
शायद आसमान की रौनक वो चांदनी मुझे देख रही थी और
मै धरती का चकोर भी सुदबूद खोकर उसे देख रहा था
दूरियाँ हमारे बीच बेहिसाब थी पर
अब कुछ था हमारे बीच तो प्यार का पहला एहसास
हम दोनों के बीच की दूरियां
हमारे प्रेम के आगे बेबस हो चुकी थी
मैंने उसमें बेपनाह खुबसूरती और कशीश देखी थी
जिसकी सुंदरता को सितारे चारो ओर से बढ़ा रहे थे
पर उसने मुझ में ऐसा क्या देख लिया
मै तो राह डगर का आवार सा बंजरा
भला आसमान की चांदनी का कैसे मिल गया मुझे इशारा
चांदनी को देखकर मैने शायद खुद को भी देखा
फिर लगा शायद ये भ्रम है मेरा शायद कोई सपना है
पर बिल्कुल वास्तविक और बड़ा अपना सा लग रहा था
मै भी शायद इसे सच मान रहा था घंटो उसे देखता रहा
जमीन पर एक कोने में बैठकर मै सब कुछ भूल गया
रास्ता डगर मै कहाँ जा रहा था शायद ये भी भूल चुका था
बस उस चांदनी को देखना ही मुझे बस सुकून दे रहा था
मै उस तक कैसे पहुँचगा ये सोच कर मै अब घबरा रहा था
फिर पता नहीं कहाँ से काले बादलों ने चांदनी को ढ़क लिया
मै घंटो बैठा रहा कब वो बादल छटे मै उस चांदनी को दूबारा
देख सकूँ फिर दो पल में युगों का जीवन जी सकूँ
जिसे मैने शायद आज तक नहीं जीया था
लेकिन सुबह हो गयी अब आसमान में सूरज था
उसकी तेज किरणें मुझे बुरी तरह से जला रही थी
लेकिन अब मुझे कहाँ कोई फर्क नहीं पड़ रहा था
मै जल रहा था पर हर पल प्रेम में अब ढ़ल रहा था
मुझे तो अब बस दूबारा से उस चांदनी को फिर से देखना है
जब तक वो मुझे नहीं दिखेगी मै सूरज की आग में जलकर
भले ही राख होकर हवाओं में बिखर ही क्यों ना जाऊँ
लेकिन मैं उस चांदनी की राह देखूँगा जिसने मुझ से मेरा अस्तित्व भी ले लिया है अब मै खुद का ही ना रहा
मुझे उसका इंतजार रहेगा दिन भर
सूरज की रौशनी में जलकर
शायद रात में बहती ठंडी हवाओं में
मै उस चांदनी को दूबारा से देख सकूँ
अब बस इस जीवन की यही ख्वाहिश है
फिर से शायद मै उन दो पलो को जी सकूँ
बस फिर से मै उन दो पलो को जी सकूँ