बेस्ट मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी|सोच बदलने वाली कहानी

रास्ते की मुश्किलें कहाँ मायने रखती है मायने तो केवल मंजिलें रखती है

एक लड़का जिसे अकेले सफर करने का बड़ा शौक था अपनी बाईक लेकर वो महीने मे एक बार कही न कहीं दूर सफर करने के लिए अक्सर निकल पड़ता था इस बार उसने खूबसूरत उत्तराखण्ड धूमने का फैसला किया

कांटे की जो खेती करते हैं उन्हें कांटा तो चुभता ही है

वो लड़का हरियाणा मे रहता था जिसका नाम था जागीरदार वो बहुत ही कठोर स्वभाव वाला उसे किसी को आदर देना नहीं आता था बस मौके कि तलाश करता था किसी को कुछ उल्टा -सीधा बोल सकें इस बार जब वो बाईक लेकर सफर पर निक

अब वो उत्तराखण्ड मे प्रवेश कर चुका है जब उसने कुछ ऊंचे स्थानों को बाईक से पार किया तो उसने देखा सड़क के किनारे कुछ पहाड़ी खीरे रखी हुई थी किसी ने बेचने के लिए सड़क किनारे रखी थी लेकिन वहाँ पर कोई नहीं था जागीरदार को भूख लगी थी उसने वहाँ से कुछ पहाड़ी खीरे उठा कर अपने कंधे पर टंगे बैग मे रख दिए और फिर निकल पड़ा बिना वहाँ कोई पैसे रखे

वो बहुत खुश था की उसने मुफ्त मे खाने के लिए पहाड़ी खिरे मिल गये थोड़ी दूर जाने पर एक सुनसान जगह मिली जहाँ एक छोटा सा ढाबा था वहाँ उसने अपनी बाईक लगाई और अपने बैग को खटिया पर रखा ओर थोड़ी दूर पर पानी जो पहाड़ो से आ रहा था जिसे सरकारी नल के रूप मे उसे परिवर्तित कर दिया गया जिसमें हर समय पानी आता रहता था वहाँ पहुँच कर जागीरदार हाथ मुंह धोने लगा तभी उसने पीछे देखा तो उसकी बाईक उसका बैग सब गायब हो गये थे एकाएक चोरी हो गये

वो भाग कर वापस आया और इधर उधर बहुत देखने लगा उसे उसकी बाईक नहीं दिख रही थी और ना ही खटिया पर रखा उसका बैग जिसमें उसने अपना पर्स रखा था उसने तेजी से ढाबे वाले से इसके बारे मे पूछा तो ढाबे वाले ने बताया मुझे क्या पता मै तो अपना काम कर रहा था

अब जागीरदार को कुछ समझ मे नही आ रहा था की आखिरी वो क्या करे वो भूखा भी था लेकिन अब उसके पैसे चोरी हो चुके थे उसके पास कोई पैसा नहीं था फिर उसने ढाबे वाले से मदद मांगी खाने के लिए

कुछ पैसे मांगे ढाबे वाले ने मना कर दिया और उसे वहाँ से वापस जाने को कहाँ जागीरदार अब पैदल ही चल रहा था मन मे सौ सवाल थे अब वो क्या करेगा कैसे घर जाएगा किस से मदद मांगेगा अचानक उसने देखा वो अपने चिंता मे खोया उसी जगह आ गया है जहाँ से उसने पहाड़ी खीरे चोरी किए थे जहाँ पर एक छोटी बच्ची बैठी बहुत रो रही थी

उससे रहा नहीं गया वो उस बच्ची से पूछा वो क्यों रो रही हो तो उसने बताया वो कुछ देर के लिए पानी पीने गयी थी और किसी ने उसके कुछ पहाड़ी खीरे चोरी कर लिए

उसके पापा बिमार है इसे बेचकर उसे जो पैसे मिलते उससे वो अपने पापा के लिए दवाई लेकर जाती लेकिन अब जो बचे पहाड़ी खीरे बिक भी गये तो उतने पैसे इकट्ठा नहीं होगें जितने पैसे उसे अपने पापा के दवा के लिए जरूरत है इतना सुनते ही जागीरदार को लग रहा था उसने महापाप किया है और ये पाप करके वो मन ही मन खुश हो रहा था शायद इसी के एवज में पाप की उसे सजा मिली है

जो फूलों के खेतों में रहते है वो अगर खुद को जल से शीतल ना भी करे फिर भी उनसे फूलो की ही सुगंध आएगी

फिर बच्ची ने उसके बारे मे पूछा आप अकेले यहाँ वो भी पैदल धूम रहे है आप यहाँ के लगते तो नहीं है फिर जागीरदार ने बताया वो यहाँ धूमने आया था उसकी बाईक और उसका बैग चोरी हो गया जिसमें पैसे थे अब उसके पास कुछ नहीं है वो मदद की तलाश कर रहा था मगर जागीरदार ये बात कैसे बताएं इस बच्ची को की तुम्हारे रोने की वजह मै खुद ही हूँ बच्ची अपना रोना भूल उसे अपने घर चलने को कहा वही पास के गाँव मे उस बच्ची का घर था

घर में बच्ची और उसके पिता रहते थे जो बिमार थे बच्ची ने अपने पिता को बताया की जागीरदार के साथ क्या हुआ फिर उसने खुद के बारे मे बताया की किसी ने पहाड़ी खीरे चोरी कर लिए पिता ने बोला कोई बात नहीं उस बच्ची का नाम निशा था

निशा जागीरदार के लिए पानी लेकर आती है फिर बच्ची गाँव के किराने के दुकान से थोड़ा सा आटा उधार लेकर आती है जिससे अपने पिता और जागीरदार के लिए रोटी बनाती है उसे खाने को देती है और रात मे रूकने के लिए कहती है

अब जागीरदार खुद को बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहा है उसके आंसू उसके आंखों से बाहर आने के लिए व्याकुल है लेकिन जागीरदार अपने आंसुओं को किसी तरह रोके हुए हैं सुबह मे जागीरदार देखता है निशा अपने गुल्लक को तोड़ चुकी है उसमें जो पैसे उसने जमा किये हैं उसे गिन रही है फिर वो उन पैसो को जागीरदार को देती है और कहती है मै जानती हूँ ये इतने पैसे नहीं है जितने आप को जरूरत है लेकिन इतने जरूर है जिससे आप घर जा सकते है शायद इसी दिन के लिए मैने ये पैसे जमा किए थे

इतना सुनते ही जागीरदार बच्ची के पैरो पर गिरकर रोने लगा और उसने रोते -रोते अपनी बात बताई मैने तुम्हारे साथ बहुत बुरा किया मै बहुत बुरा हूँ ये सुनकर बच्ची बड़े आराम से मुस्कुरा कर बोली मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है आपको आपकी सजा भगवान दे चुके है

फिर बच्ची और उसके पिता के बहुत समझाने पर जागीरदार ने वो पैसे लिए और बच्ची ने उसे हरियाणा जाने वाली बस में बिठा दिया बस मे बैठा जागीरदार रोता हुआ बस ये सोचता गया उसने इस सफर मे कुछ खोया नहीं बल्कि बहुत कुछ पाया है वो जीवन जीना सीख चुका है अब शायद

घर कितना बड़ा है ये मायने नहीं रखता मेहमानों का स्वागत कैसे करते हैं महत्वपूर्ण ये है

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