Romantic Crush Love story in hindi|करवा चौथ का व्रत

शीशे के खिड़कियों से जब मैने नीचे झांक कर देखा तो वो नीचे खडी मुस्कुरा रही थी सब्जी लेकर आई थी पहली बार जीवन में उसने कभी सब्जी नहीं खरीदी थी खुद से बाहर जाकर आज का दिन खास बहुत खास था वो बस मुस्कुरा रही थी मैने तेजी से नीचे गया और सब्जी का झोला उसके हाथो से ले लिया उसके चेहरे पर एक अलग सी खुशी मुझे दिख रही थी हम ऊपर आए मैने कहा पानी पिओगी उसने हंसते हुए अपने माथे पर से हल्का सा पसीना पोछते हुए कहा हां मुझे पानी दो मैने उसे पानी दिया उसने एक सांस मे पूरा ग्लास पानी पी लिया मैने कहा तुम क्यों गयी मै ले आता ना उसने कहा तो क्या हो गया वैसे उसने हंसते हुए कहा मैने पहली बार सब्जी खरीदी है

तुम्हारा हर कार्य हर बार मुझे आश्चर्यचकित कर देता है

आज मैने आश्चर्य से पूछा सच में क्या उसने कहा हां मैने बड़े गर्व से उसके तरफ देखा और उसने मुझे फिर हमारी हंसी जोर जोर से पूरे घर में गूंजने लगी हम काफी देर तक हंसते रहे मैने कहा आज तुम इतनी जल्दी सब्जी ले आई वो भी पहली बार क्या कुछ है क्या आज उसने कहा है ना मैने पूछा क्या उसने कहा मैने तुम्हारे लिए व्रत रखा है कड़वा चौथ का मैने कहा तुमने क्यों रखा और तुम फिर सब्जी लाने क्यो गयी और मै ये कैसे सह सकता हूँ तुम भूखी रहो पूरे दिन ये मै सह नहीं पाऊँगा मै तुम्हे नहीं करने दूंगा मै तुम्हे भूखे नहीं रहने दूंगा मेरे लिए उसने फिर इतने प्यार से कहा करने दो ना व्रर्त मै फिर उसके इतने प्यार भरे आवाज के सामने खामोश हो गया मै चाह कर भी कुछ कह ना सका मै अंदर ही अंदर सोच रहा था कैसे भूखी रहेगी मेरे लिए मै कैसे ये सह पाऊँगा पानी भी नहीं पी पाएगी कैसे मै सोच रहा था उसे प्यास लगती है गर्मी में ज्यादा फिर कैसे कर पाएगी मेरे आंखे नम हो गई थी उसने देखा मेरी ओर मै परेशान सा बैठा था बस यही सोच कर उसने मुझ से पूछा क्या हुआ मैने कहा कुछ नहीं कहाँ कुछ भी तो नहीं हुआ है फिर उसने कहा मै खाना बना दूं मैने कहा तुम शर्मिंदा कर रही हो प्रिय ऐसा कहकर मैने कहा मै बना लूंगा तुम जाकर बेडरूम मे आराम करो वो बेडरूम में आराम करने चली गई और मै वही खिचन के सामने डाइनिंग टेबल पर बैठा रहा मै सोच रहा था इसे प्यास लगेगी तो फिर कैसे रह पाएगी

तुम्हारी चिंता में मै अक्सर खुद को भी खो देता हूँ

सुबह में नौ बजे से दस बजे के बीच रोज नाश्ता करती है वो आज भूखी है वो भी मेरे कारण फिर मैने सोचा मै भी नहीं खाऊंगा और मै भी पानी नहीं पीऊंगा मैने उसके रात के खाने के लिए सोचने लगा मै क्या लेकर आऊं उसके लिए जो रात में वो खा सके मै फिर चुपचाप हमारे बेडरूम की तरफ गया और दरवाजे पर जब पहुँचा तो देखा वो सो रही थी उसके चेहरे पर थकान मुझे दिख रही थी हलाकि अभी दिन के ग्यारह ही बजे थे मै बस दरवाजे पर खड़ा होकर उसे बस देख रहा था मै सोच रहा था जाकर उसे उठाकर उसे गले से लगा लूं और कहूँ मत करो खाना खा लो ना फिर कुछ देर के बाद उसकी आंख खुल गयी उसने मुझे देखा दरवाजे के पास खड़े उसने पूछा वहाँ क्यों खड़े हो पास में आकर आराम करो मैने कहा नहीं मुझे आज एक कहानी पूरी करनी है वो जरूरी है उसने कहा अच्छा अच्छा फिर उसने पूछा वैसे ये कौन सी कहानी है मैने कहा हमारी तुम्हारी कहानी फिर वो हंसने लगी उसने कहा वैसे मैने तुम्हारी वो कहानी पढ़ी थी जो तुमने दो दिन पहले लिखी थी मुझे अच्छी लगी मैने कहा मेरा सौभाग्य जो तुम्हे अच्छी लगी और मुझे क्या चाहिए फिर मै उसके पास बैठ गया उसने पूछा क्यो परेशान हो

तुम सब कुछ जान लेती हो मन में क्या चल रहा है मेरे

मैने कहा मै कहाँ परेशान हूँ उसने कहा मुझसे कुछ नहीं छिपता मैने कहा ऐसा कुछ भी नहीं है उसने कहा तुम बताना नहीं चाहते हो तो मत बताओ मैने कहा ठीक है बता देता हूँ मुझे तुम्हारा भूखा रहना अच्छा नहीं लग रहा उसने कहा ये भगवान का व्रत है ऐसा थोड़े ही है की मै अकेले ही ये कर रही हूँ मैने कहा और जिनकी बात तुम कर रही हो उनका तो मुझे नहीं पता पर तुम्हे मै ऐसे नहीं देख सकता और पतियों को अपनी बीबियों की चिंता नहीं है मुझे है मैने तुम्हे कितनी मुश्किल से पाया है और तुम बिमार हो गयी तो फिर मै क्या करूँगा उसने कहा ऐसा कुछ नहीं होगा तुम कुछ ज्यादा सोचते हो फिर उसने पूछा तुमने खाना खाया मैने कहा अभी मैने बनाया नहीं है फिर उसने गुस्से से मुझे देखा और कहा तुमने क्यो नही अभी तक खाया तो मैने कहा तुमने भी तो अभी तक नहीं खाया वो दो मिनट के लिए शांत हो गयी फिर उसने कहा मै ये सब कुछ नहीं जानती हो तुम जाकर खा लो मैने कहा तुम जब साथ में खाओगी तभी खाऊंगा फिर वो नाराज हो गयी बोली मै अकेले रहना चाहती हूँ थोडी़ देर मैने कहा मै तुम्हारे साथ पूरे दिन रहना चाहता हूँ बहुत देर फिर वो हंसने लगी मैने कहा तुम्हारी इसी मुस्कान को ही तो मैं पसंद करता हूँ सबसे ज्यादा और मैने तुमसे क्या कहा था शादी के पहले मै तुम्हे कभी नाराज नहीं होने दूंगा और तुम्हारे आंखों में कभी आंसू नहीं आने नहीं दूंगा तुम भूल गयी शायद लेकिन मुझे याद है फिर मैने कहा मेरे गोद पर सर रखकर तुम थोड़ी देर सो जाओ मै सर दबा देता हूँ उसने कहा नहीं ठीक है मैने कहा बाहर बैठना है उसने कहा नहीं यही ठीक है

तुम्हारी खुशी हमारे प्रेम की सबसे बड़ी सफलता है

मैने पूछा शाम में क्या खाओगी उसने कहा कुछ भी मैने कहा ऐसा थोड़े ही होगा क्या मै ले आऊं फिर ये तो छोटा सा शहर है यहाँ दुकान सारी जल्दी बंद हो जाती है और होम डिलीवरी यहाँ होती नहीं है मैने कहा बताओ ना उसने कहा तुम्हे जो अच्छा लगे मैने कहा यहाँ तो तुम्हारी मर्जी चलेगी मेरी नहीं फिर उसने कहा मटर पनीर दाल मखनी फ्राईड राईस और मिक्स सब्जी मैने कहा ये तो मै लाता हूँ मुझे कुछ समझ में नहीं आता क्या लेकर आऊं तो उसने कहा मुझे भी समझ में नहीं आया इसलिए कह दिया मैने उसे गले लगा लिया और कहा तुम भी ना प्रिय आज मै बस उसके चेहरे को बार बार देख रहा था मै देख रहा था कि प्रिय का चेहरा कितना मुरझाया है मुझे लग रहा था जिसने कभी उपवास नहीं किया उसने मेरे लिए उपवास रखा जहाँ वो पढ़ी बढ़ी वहाँ कभी वो भूखी नहीं रही आज मेरे साथ वो भूखी है ये बात मुझे बहुत तकलीफ दे रही थी मैने मन में सोचा अगले साल मै तुम्हे किसी भी हालत में उपवास नहीं रखने दूंगा ये पीड़ा मेरे लिए असहनीय थी उसने मुझे देखा और आई मेरे पास मै बाहर बैठा था वो सब समझ गयी उसने मुझे कहा तुम खुद भूखे हो और मेरे लिए बेवजह परेशान हो मैने कहा तुमने खाया नही ना फिर मैने कहा गुस्सा क्यो हो रही है ठीक है सब अब कुछ देर में रात हो जाएगी तुम एक काम करो इस कुर्सी पर बैठो मै दूसरी कुर्सी ले आता हूँ उसने कहा नहीं मैने कहा तुम भूखी हो तो उसने हंसकर बड़े प्यार से कहा तुम कौन सा खाना खाकर बैठो हो मैने कहा ठीक है प्रिय मृगनयनी उसे और भी जोर से हंसी आ गयी हमारे जीवन में बस यही तो था जो हमे एक दूसरे से बांधे रखता है हमारा एक दूसरे का साथ

हमारा साथ ही इस जीवन को खूबसूरत बनाए रखता है

मैने साढ़े चार बजे ही घर से निकल गया खाना लाने क्योंकि ये पहाड़ी इलाका है जहाँ अंधेरा जल्दी हो जाता है और दुकान भी जल्दी बंद हो जाती है मै वहाँ के सबसे प्रसिद्ध दुकान पर गया जहाँ भीड़ ज्यादा नहीं थी मैने सब कुछ लिया फिर मै मिठाई के दुकान पर गया वहाँ मैने मिठाई खरीदी फिर मै घर की तरफ चल पड़ा मुझे पहुँचते पहुँचते लगभग छह बजे गये थे अंधेरा तो नहीं था वो चांदनी रात थी क्योंकि चांद को देखकर सब व्रत तोड़ते है मै घर पहुँचते ही कहा चलो प्रिय छत पर जल्दी से तुम अपना व्रत तोड़ो प्रिय उसने कहा मै नहा कर तैयार होकर आती हूँ फिर छत पर चलेगे मैने कहा ठीक है मै अपने टेरिस से ही आसमान का मुयाना लेने लगा देख रहा था चांद दिख रहा है ना वरना प्रिय को और भी इंतजार करना पड़ेगा मै उससे ज्यादा उतावला लग रहा था जैसे व्रत मुझे ही खोलना हो फिर थोड़ी देर में वो तैयार होकर आई मै फिर उसे देखता रह गया मैने कहा तुम कमाल की लग रही हो बहुत सुंदर उसने मुझे देखा और कहा तुम हर समय तारीफ ही करते रहते हो मैने कहा ये तुम्हारे चेहरे पर जो मुस्कान आती है सब उसी के खातिर प्रिय मुझे तुम्हे ऐसे ही देखना पसंद है तुम ऐसे ही रहना तुम कभी मत बदलना मै तुम्हे कभी बदलना नहीं चाहूंगा बस तुम ऐसे ही रहना उसने कहा अभी रूलाओगे क्या चले छत पर मैने कहा हां मैने कहा थाली मै पकड़ लेता हूँ तुम बस ध्यान से ऊपर चलो उसने कहा तुम भी ना प्राणप्रिय उसने भी आज हल्का सा मजाक किया उसके मुंह से प्राणप्रिय सुनकर लगा मै तो चार धाम की यात्रा से हो आया फिर जब हम छत पर पहुँचे तो देखा सामने हिमालय पर्वत पर चांद की रौशनी पड़ रही थी तो ऐसा सफेद सी संगमरमर की चादर जैसे बीछ गयी हो चारो तरफ और हम उस चादर के बीच खड़े होकर चंद्रमा को देख रहे थे उसने मुझे देखकर व्रत तोड़ा फिर वो मुड़ने लगी तो मैने कहा अब मेरी बारी उसने कहा क्या कर रहे हो मैने कहा प्यार ये प्रेम है और कुछ नहीं फिर मैने भी उसकी थाल से आरती उतारी मैने जैसे ऐसा किया वो सीधे मेरे गले से लिपट गयी मैने कहा आराम से प्रिय थाल गिर जाएगी हमारे प्रेम का साक्षी इस बार चंद्रमा था जिसकी रौशनी में हमारा प्रेम हिमालय से भी ऊंचा दिख रहा था

तुम्हारे साथ मै जीवन के हर एक पल को जीता हूँ

हम नीचे आए इस बार वो मुझे अपने हाथो से पकड़ कर मेरे कंधे पर सर रखकर सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी नीचे पहुँचने के बाद मैने कहा तुम बैठो मै खाना लगाता हूं मैने खाना लगाया वो आई डाईनिंग टेबल पर उसने तुरंत मुझे खिलाना शुरू कर दी मैने कहा ये क्या प्रिय तुम खाओ पहले मै खिला देता हूँ उसने मेरी एक नहीं सुनी उसके आंखों में आंसू थे उसने कहा तुम क्यो भूखे रहे मेरी वजह से मैने कहा तुम क्यो भूखी रही मेरी वजह से उसने मुझे पूरा खिला कर ही छोड़ा मैने कहा तुम तो पहले खाओ उसने कहा नहीं तुम्हे खिलाने के बाद ही खाऊँगी उसने अपने हाथों से मुझे पूरा खाना खिलाया मै इस पल को अपने लिए सबसे खास पल मान रहा था क्योंकि इतना प्रेम मुझे इस जन्म में मिला था ये मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं था मै खा चुका था मैने कहा अब मेरी बारी फिर मैने उसकी आँखों में प्रेम के सागर को देखते हुए उसे खिला रहा था अपने हाथों से वो भी मुझे देख रही थी और मै भी उसे बस हम दोनों एक दूसरे को ही देखे जा रहे थे सब कुछ जैसे रूक सा गया था हर तरफ खमोशी थी आवाज बस आ रही थी तो हमारे दिल के धड़कने की मैने उसे गले से लगा लिया और वो मेरी बांहों में किसी बच्चे की तरह छिप गयी यही है हमारा प्रेम जिसका मूल्य कोई नहीं लगा सकता है ये अनमोल है क्योंकि बात हमारे प्रेम की है ये प्रेम नहीं ये जीवन है जिसके सहारे हम सा़ंस लेते हैं हम दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं और साथ है तो सम्पूर्ण है

इतना प्रेम मुझे मिला ये मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *