सूनामी भी कुछ नहीं हि्दय में उठे प्रेम के तूफान के आगे सूनामी जब भी उठती है तो अपने आप पास के जगहों को बर्बाद…
वो कहानी ही क्या जो अधूरी रह जाए वो प्रेम ही क्या जो पूरा ना हो सके वो फूल ही क्या जिसपे कांटे ना हो…
आज आसमान का रंग कुछ बदला सा है शायद कही बरसात हुई है कही वर्षों के बूंद गिरे हैं तो कहीं जज्बात के बादलो से…
मैने तुम्हारी ना जाने कितने युगों तक तलाश की है फिर कही तुम से मै मिल सका हूँ अब ऐसा लगता है शायद ये वही…
हमारे घर का पता बड़ा आसान है हवाओ से बना हमारा मकान है ना कोई दरवाजा है ना ही कोई खिड़कियां है ना ही बिखरा…
कभी कभी मै सारी आशाओ को त्याग कर चुपचाप बैठ जाता हूँ शांत एक कोने में मुझे लगता है क्या कभी हम मिल पाएंगे मन…
हाँ मै उस दुनिया में रहता हूँ जहाँ केवल प्रेम बसता है जहाँ केवल प्रेम की मधुर धुन से हर सुबह होती है प्रेम की…
आसमान की चांदनी को रात में देखा था मैने अचानक सेशायद आसमान की रौनक वो चांदनी मुझे देख रही थी औरमै धरती का चकोर भी…
उसकी मुस्कान तुम्हारे जैसी हैउसकी आंखे उसके बाल उसके कानउसकी मासूमियत से भरा चेहराउसकी तुम्हारी तरह खिलखिलाकर बिना बात के हंस देना सब तुम्हारे जैसी…
आज सुबह से भी वो बहुत खुश थी उसे खुश देखकर मै भी बहुत खुश था मुझे अच्छा लग रहा था उसे ऐसे देखना मै…