वो कहानी ही क्या जो अधूरी रह जाए वो प्रेम ही क्या जो पूरा ना हो सके वो फूल ही क्या जिसपे कांटे ना हो…
कभी कभी मै सारी आशाओ को त्याग कर चुपचाप बैठ जाता हूँ शांत एक कोने में मुझे लगता है क्या कभी हम मिल पाएंगे मन…
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