जीवन एक चुनौती पर कविता माना काली रात बहुत लंबी हो गयी मै अंधेरे में कितनी बार गिरा कितनी चोटे आई मुझे अंधेरे में लेकिन…
मै तो हमारी कहानी लिखूँगा जिसमें सिर्फ और सिर्फ तुम और मै हो और उस कहानी में कोई भी ना हो बस और बस हमारा…
क्या तलाश करूँ मै ऐसा लगता है हर तलाश खत्म हो गयी कितना घना बादल हैं आसमान में फिर भी बरसात खत्म हो गयी हम…
कभी – कभी सूनी अंधेरी रातो में जब अकेलापन डराने लगता है तो शायद कुछ भटकी आत्माएं अपने अकेलेपन से मुक्त होने मेरे पास चली…
कभी मै उस जीवन को जीता था जो सब लोग जीते हैं मै भी बस जी रहा था लेकिन असली खुशियों की तलाश नहीं थी…
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