गुरु नानक जयंती 2022 : जीवन में जब कोई राह नजर नहीं आए तो गुरूनानक देव के विचार सही राह दिखाएंगे
जीवन में जब कोई राह नजर नहीं आए तो अपनी दोनों आंखों को बंद करके गुरूनानक देव का हाथ थाम कर आगे बढ़ना चाहिए तभी अपने जीवन में सही रास्ता हमे नजर आएगा
” अंधेरे में जब ना दिखे कोई पास तभी नानक जी बढ़ाते हैं अपना हाथ “
कार्तिक मास की पूर्णिया तिथि को गुरूनानक जयंती मनाई जाती है गुरु नानक देव ने ही सिख धर्म की नीवं रखी थी उन्होंने समाज को एक ऐसा उपहार दिया था जो आज भी मानवता के लिए सदैव अतुलनीय अस्मरणीय भेंट है जिसका मूल्य कोई नहीं चुका सकता है गुरूनानक जयंती सिर्फ सिख धर्म के लोगों के लिए पुज्यनीय ही नहीं बल्कि पूरे मानव जाति की जिन्हें नेकी अच्छाई में विश्वास है जिन लोगों को यकीन है हम सब एक है जब तक मानवता जीवित है तब तक गुरूनानक देव सबको के दिल में हमेशा रहेगे
गुरूनानक देव के बताए मार्ग पर आज भी जो लोग कदम बढ़ाते हैं वो जीवन में भले ही कितनी मुसीबतों में धिरे रहते हैं लेकिन अंत में जीत गुरूनानक देव के बताए मार्ग की होती है
गुरूनानक देव सिख धर्म के पहले धर्म गुरु हैं
गुरूनानक देव की जीवनी :-
गुरूनानक देव का जन्म रावी नदी के तट स्थित तलवण्डी गाँव में हुआ था तलवण्डी आज के पाकिस्तान के पंजाब का एक नगर है उनके पिता का नाम मेहता कालू चंद खत्री एवं माता जी का नाम तृप्त देवी था आगे चलकर तलवण्डी नगर का नाम नानक जी के नाम पर ननकाना पड़ गया
गुरूनानक देव का विवाह सुलक्खनी जी से अल्प आयु में हुआ था उस वक्त उनकी आयु सोलह वर्ष की थी
गुरूनानक देव बचपन से ही बहुत बुद्धिमान थे ज्ञानी मगर उनका मन अध्ययन में नहीं लगता था सांसारिकता लोभ माया के अभिभूत व्यवस्था को देखकर अक्सर गुरूनानक देव का मन दुखी रहता था उनके मन में इतने प्रश्न उठते थे जिसका जवाब किसी के भी पास नहीं थे उन्हें शायद कुछ तलाश थी उनके साथ अक्सर बहुत सी ऐसी अविश्वसनीय घटनाएं घटती थी जो सामान्य मनुष्य की समझ से परे था
उनके साथ जो भी लोग थोड़ा सा समय व्यतीत करते थे उन्हें बहुत शांति अनुभव होती है वो लोग जीवन के दुखो को भी भूल जाते थे गुरूनानक देव जी के साथ पल दो पल बिता कर
गुरूनानक देव के विचार :-
गुरूनानक देव की ख्याति बढ़ती ही जा रही थी उनके विचार ही ऐसे थे जो एक बार सुन ले नतमस्तक हौ जाता था गुरूनानक देव ने सदैव प्रेम पर जोर दिया है आपसी सौहार्द शांति पर गुरूनानक देव
ईश्वर हमेशा से एक ही रहा है वो कही और नहीं हमारे भीतर है तुम्हारे भीतर है सबके भीतर है इस जगत के हर एक कण में उसकी झलक देखी जा सकती है प्रत्येक प्राणी मे उसकी मौजूदगी है
जो व्यक्ति ईमानदार से अपना कार्य करते हैं उन्हें किसी का भय नहीं होता वही व्यक्ति जो ईमानदार है समाज को बदल सकता है अपनी मेहनत और नेकी से एक नयी दिशा समाज को देने में वो सक्षम है
कभी दूसरो का अहित नहीं करना चाहिए इससे हम मजबूत नहीं होते बल्कि कमजोर होते हैं
जो धन जरूरतमंदों के काम आए जो ईमानदारी से अर्जित की गई है वही धन जीवन में प्रगति और शांति लाती है समाज में भेदभावपूर्ण व्यवहार हमारे भीतर का ही विकार जो समय समय पर बाहर आता है अपने से कमजोर को सताना हमारी दुर्बलता है
हमारे जीवन की सबसे बड़ी दौलत हमारी प्रसन्नता ही तो है जो हम एक दूसरे से बांटते हैं किसी के दुख को अपनी प्रसन्नता बांटकर कम करने है और हमेशा ईश्वर के प्रति कृतज्ञ बने रहने जो उसने हमे दिया है सुख दुःख जो भी दिया है उसने दिया है इसलिए दिल से उसके दिए हर भेट को स्वीकार करना चाहिए
भोजन वही है जो पेट की क्षृदा को शांत करती है ठीक उसी प्रकार विचार वही है जो आत्मा को शांतचित्त कर परमात्मा की ओर ले जाए