Author: Kunal Kumar
हमारे रिश्ते को अब मुकाम मिले मै थोड़ा अब खुल के जी लूं तुम्हारी हंसी से मुझे थोड़ा आराम मिले क्या कहूँ तुम से बिन…
तुम्हारे प्रेम के आगे सब कुछ छोटा है बिल्कुल शून्य के समान है तुम्हारा प्रेम मेरे जीवन में ईश्वर के द्वारा दिया गया अब तक…
कई मंजर देखे हैं मैने जीवन में कई रास्तो से गुजर चुका हूँ मैं लेकिन मेरा हर रास्ता मुझे तुम तक ही लेकर आता है…
आज उसकी हंसी पूरे घर में ऐसे गूंज रही है जैसे बसंत ऋतू में हल्की ठंडी हवा बह रही हो जैसे हल्की ठंडी हवा ने…
ये कौन रो रहा है जिसके आंसू मुझे विचलित करते रहते हैं ये किसकी सिसकियां है जो बेहद खामोश है फिर भी मै इन्हें सुन…
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