Author: Kunal Kumar
आज भी सूर्यमुखी की नजरें आसमान पर ही टिकी हुई है पिछले तीन दिनों से सूर्यमुखी आसमान में टकटकी लगाए देख रही है सूर्यमुखी को…
तुम्हारे सिर्फ होने से हर युग छोटा नजर आने लगता है एक तुम्हारे नहीं होने से एक दिन भी युग से भी लंबा महसूस होने…
चांद की रौशनी में मैने तुम्हे देखा था छत के एक कोने में खड़ी अपनी खामोशी से बात कर रही थी शायद चांदनी रात में…
सब ठीक लगता है जब तुम मुस्कुराती हो तुम्हारा गमगीन होना मुझे भी कहाँ छोड़ता है जितना दुख तुम सहती हो वही दुख मै सहता…
मै हर रोज प्रेम के घोड़े पर सवार होकर दूर तक सफर करता हूँ तुम्हारी तलाश में मै दूर बहुत दूर तक निकल जाता हूँ…
मेरे ना होने से शायद तुम्हे फर्क ना पड़ता हो लेकिन तुम्हारे ना होने से मुझे बहुत फर्क पड़ता है मेरे बिना शायद तुम आराम…
जिस दिन मैंने तुम्हे महसूस ना किया हो उस दिन मैने तुम्हे प्यार ही शायद ना किया हो जिस दिन तुमसे दूर जाने के ख्याल…
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