50+ Nature Quotes In Hindi
1. जब भी बारिश होती है तो मुझे ऐसा लगता है
तुम खुल कर नाच रही हो
तुम्हारे बेफ्रिक रवैये से
मौसम भी बिल्कुल बदल जाता है
जो अब तक तपती धूप सी लगती है
वो सुहानी यादगार शाम बन जाती है
मुझे तुम हमेशा ऐसे ही बरसात के जैसी
खुल कर नाचती हुई अच्छी लगती हो
मौसम भले बदलते रहे मगर
तुम हमेशा बरसात बनकर खुल कर
बूंद बूंद की जैसा बरसना ताकि
मुझे तुमसे हमेशा ठंडक मिलती रहे
और मै भी तुम्हारे रंगों में हमेशा
खुद को रंग जाते हुए देखता रहूँ
2. ये खुबसूरत वादिया बिल्कुल तुम्हारी तरह ही बेहद
खूबसूरत है यहाँ पहाड़ो पर जो सफेद बर्फ जमी है
उसका रंग बिल्कुल तुम्हारी तरह है बिल्कुल सफेद
जो जंगल है इन पहाड़ो के साथ
वो बिल्कुल तुम्हारी खामोशी जैसा है
जो बिना कुछ कहे तुम्हारी तरह
सब कुछ तो कह रहा है
ये मौसम आज का तुम्हारी मुस्कान की तरह है
जो हर किसी को मोह रहा है बिल्कुल तुम्हारी ही तरह
कोई नहीं बच सकता है इस मौसम से जैसे
तुम्हारी एक झलक देखने के बाद कोई भी
कुछ और फिर देख ही नहीं पाता
3. कुछ तो बात है तुम्हारे साथ में
वरना आज ये मौसम यूँ हंसीन ना लगती
हर जगह नाचती गाती
आज ये जमीन ना लगती
4. मै जब तुमसे मिला तभी मै प्रकृति से मिला
वरना इससे पहले ऐसा कुछ भी मैने कहा देखा था
तुम्हे देखने के बाद फिर मै मै रह ही कहाँ गया
मै तभी से बस तुम्हारा हो गया
5. जिस तरह प्रकृति एक अलग एहसास दिलाती है
जहाँ जाने के बाद इंसान सब कुछ भूल जाता है
अपने दुख तकलीफ अपनी दिन चर्या को
ठीक वैसे ही जब भी मै तुम्हारे पास आता हूँ
मै भी सब कुछ भूल जाता हूँ फिर ऐसा लगता है
कही और जाना एक तुम्हारे सिवा
जीवन से विमुख होने जैसा है
मैने इसीलिए तुम्हारे ही पास
अपनी छोटी सी कुटिया बना ली है
अब यही जीवन भर बस एक तुम्हे बस यूँ ही
देख कर अपनी उम्र गुजार दूंगा मै
6. तुम्हारे बहते आंसू मुझे ऐसे लगते हैं
जैसे झरने से कोई सफेद नदी बह रही हो
जहाँ का पानी कुछ मीठा कुछ नमकीन होता है
ये बस पानी पीने वाला ही जानता है
उसने उस पानी को पीकर एक साथ
कई ही जीवन को जी लिया है
7. तुम कौन हो मुझे इतना बताओ
इंद्रधनुष के कौन से रंगो से बनी हो
तुम मुझे खुलकर समझाओ
8. पंक्षियों की चहचहाट में भी अजीब बात है
करने आते हर रोज जैसे तुमसे ही मुलाकात है
9. नदी की तरह तुम चलती हो
जहाँ से भी गुजरती हो वहाँ
अपने निशान हमेशा के लिए बना लेती हो
तुम जरूरत बन जाती हो
हर किसी के जिंदा रहने के लिए
10. तुम उन फिजाओं की तरह हो
जहाँ कोई एक बार आ जाए तो
अपने होशोहवास बस खो बैठता है
फिर चाह कर भी वो वापस कहाँ लौट पाता है
11. प्रकृति आत्मा को पहचान लेती है
मैने तुम्हे पहचान लिया
तुम खो गये थे अंधेरी रात की तरह
मैने तुम्हे जान लिया
12. तुमसे मिला तो लगा झील में
झांक कर खुद को देख रहा हूँ
शायद झील में उठने वाले ये बुलबुले
मुझे तुमसे रू ब रू करा रहे हो
13. मैने एक शाम तुम्हारे साथ गुजारी
तुम्हारी आवाज जैसे पंक्षियों की
दूर से आती चहचहाट जैसी लग रही थी मुझे
तुम्हारी मुस्कान डूबते सूरज के चारो ओर जैसे
खूबसूरत लालिमा लिए हो वैसी लग रही थी
तुम्हारी जुल्फें जैसे घनी काली रात के जैसे लग रही थी
मुझे तुम्हे देखना जैसा चांदनी को कोई चकोर
चांदनी रात में देख रहा हो ऐसा लग रहा था
कितने सारे रंग मिले थे मुझे तुम्हारे में
14. प्रकृति को देखा नहीं जा सकता
बस महसूस किया जा सकता है
तुम भी ठीक वैसे ही हो जिसे
मैने देखा कभी नहीं है
मगर महसूस हमेशा किया है
15. बरसात में जैसे सब कुछ साफ और
धुला हुआ नजर आता है
प्रकृति के हर एक नजारे पेड़ पौधे और पत्ते
बिल्कुल साफ सुथरे दिखाई देते है
ठीक वैसे ही तुम्हारा दिल और
तुम्हारा रंग भी बिल्कुल साफ सुथरा है
16. प्रकृति के कई रंग मौजूद है
जो समय पर बदलते रहते हैं
मगर तुम्हारा रंग कभी नहीं बदलता
ये रंग सफेद रंग है जिसमें केवल
शांति है और इसमें कुछ भी नहीं है
ना प्रतिशोध ना प्रतिकार केवल प्यार
17. मुझे अगर प्रकृति के जैसी शांति चाहिए
जीवन में तो तुम्हे अपना बनाना होगा
ताकि तुम्हारे साथ रहते मै कभी अशांत
ना हो सकूँ तुमने हर परिस्थितियों में
शांत रहकर बस प्यार किया है
18. किसी की गहराई को मापना हो तो पहले
प्रकृति की गहराई को समझना सबसे जरुरी होता है
19. जीवन में अगर संतुलन स्थापित करना हो तो
प्रकृति से बड़ा कोई भी शिक्षक कही भी नहीं है
20. प्रकृति अपने अंदर वो दुनिया समेटे होती है
जहाँ प्रकृति किसी के साथ भेदभाव नही करती
शक्तिशाली से कमजोर तक को किसी न किसी
खूबी से नवाजा जाता है
21. प्रेम जीवन में किसी पौधे की ही तरह है
जितना खाद्य पानी आप डालते हैं वो पौधों
उतना बड़ा होता जाता है अगर पौधे में खाद्य
पानी नहीं डालते तो वो पौधा कुछ
समय बाद सूख जाता है
22. प्रकृति से जो प्यार करते हैं वो किसी तरह के
बदलाव के समर्थक नहीं होते बल्कि जो सामने होता है
उसे खुलकर स्वीकार करने में उन्हें खुशी होती है
24. खामोशी भी बड़ी दिलकश होती है
ये कोई उससे पूछे जो प्रकृति के बीच में
रहकर उसके शोर में भी खामोशी महसूस करता है
25. जो प्रकृति को समझता है उसे
किसी को भी समझने में कोई दिक्कत नहीं होती
26. जितना प्रेम आप देते हैं उतना पाते हैं
सब कुछ भाव पर निर्भर करता है
कुछ देते वक्त भाव कैसा है
यही तो प्रकृति सीखाती है
27. प्रकृति ने सदैव दिया है और हमेशा से
कुछ न कुछ देते हुए आई है
बस संतुलन बनाए प्रकृति के साथ
जीवन खुशहाल हो जाएगा
28. प्रकृति किसी को भूखा नहीं रखती अगर आप जंगल में है
कुछ न कुछ इंतजाम सबके लिए हमेशा से रहता है मगर
शहरो मे इंसान सब कुछ होते हुए भी भूखा रह जाता है
29. फूल हर किसी को पसंद है गुलाब और कमल
गुलाब के फूल तोड़ने है तो
कांटे के चुभने से भय नहीं होना चाहिए
कमल का फूल तोड़ना है तो कीचड़ में उतरने से
कभी कैसी भी हिचक नहीं होना चाहिए
30. जो चीज संभालने के लिए होती है उसे
संभाल कर ही रखना चाहिए अगर संभाल कर
नहीं रखते ध्यान नही देते तो
वो चीज हल्के से भी झटके में टूट जाती है
31. भगवान से अगर मिलना है तो प्रकृति की शरण में जाओ
बड़े से बड़ा ज्ञान जिन्होंने भी पाया है उन्होंने प्रकृति के
शरण में ही पाया है
32. अक्सर प्रकृति से खिलवाड़ करने से ही
बड़े से बड़े विनाश को निमंत्रण मिलता है
33. अक्सर सुंदरता सिर्फ किसी के चेहरे में ही होती तो
कोई प्रकृति की छांव में आकर यूँ ही नहीं सब कुछ भूल जाता
34. जिस तरह सूरज के बिना सवेरा नही हो सकता
ठीक उसी तरह प्रकृति के बिना जीवन संभव नहीं हो सकता
35. मेरे जीवन में काश ऐसा दिन भी आए
सुबह शाम हर पल जब भी देखूँ
तो बस प्रकृति को अपने सबसे करीब पाऊँ
36. जो जमीन से जुड़ा होता है
उसकी जड़ हमेशा मजबूत होती है
वो उतना ही जड़ को फैलाता है
जहाँ तक उसकी पकड़ मजबूत होती है
अधिक दूर तक जड़ का फैलाव उसकी
मजबूती को प्रभावित कर देता है अक्सर
37. आप ईश्वर पर विश्वास करते हैं तो
ईश्वर भी आप पर अपना भरोसा दिखाता है
38. नींद तो पेड़ की ठंडी छांव में आती है
बंद कमरो में तो सुकून की नींद कहाँ आती है
39. पेड़ अकड़ के खड़े होना नहीं बल्कि
झुक कर शालीनता से जीना सीखाती है
झरने ऊंचाई से नीचे उतरकर भी
अपने बहाव में चलते चले जाना सीखाती है
जीवन एक दूसरे के साथ ताल मिलाकर जीना है
40. अगर एक अनपढ़ आदमी भी प्रकृति को समझता है
तो वो उन पढ़े लिखे लोगो से कही बेहतर तरीके से
खुद को संतुलित करना जानता है
41. खुद को सही साबित वो ही बार बार करने की कोशिश करते हैं
जिन्हें पता होता वो गलत है प्रकृति कभी कुछ भी
साबित नहीं करती है क्योंकि ये प्रकृति का स्वभाव नहीं है
42. दूर से देखने पर लगता है
जंगल मे जीवन भयावह होता है
संधर्ष हद से ज्यादा है
मगर जंगल का जीवन सरल होता है
क्योंकि वहाँ रहने वाले को पता होता है
उन्हें हर रोज क्या करना है
प्रकृति से तालमेल मुश्किल से मुश्किल
जीवन को आसान बना देता है
43. पानी में लोग घुटने तक उतरने से डरते हैं मगर
मजा तो तभी है जब घुटने तक के पानी में दौड़ा जाए
जीवन को कभी कुछ तय करके नहीं जीया जाता है
बस खुशी तभी मिलती है
जब हर दिन बेफ्रिक होकर जीया जाए
44. कुछ भी करने से डर क्यो लगता है
क्योंकि आप का भरोसा खुद पर ही नहीं है
तो दूसरो पर भरोसा कैसे कर सकता है कोई
हवा की तरह बह जाना ही मदमस्त होकर ही जीना है
45. जीवन में खुश रहने है तो अपने फैसले पर शंका
कभी नहीं करनी चाहिए अपने फैसले पर शंका करना
सबसे बड़े दुःख का कारण है प्रकृति अगर तूफान भी
लाती है तो वो अफसोस नहीं करती क्योंकि तूफान में
वही घोसले उजड़ते है जिनकी नींव खोखली होती है
46. जीवन पंक्षियों की चहचहाट जैसी मीठी बन सकतीं है तो
इस जीवन को कड़वा बनाने की क्या जरूरत है
47. जब चलने के लिए सीधा रास्ता है तो
टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियों पर चलने की आवश्यकता क्या है
48. प्रकृति जितनी सरल है उतना ही सरल जीवन है
मगर जितना जटिल समझेंगे जीवन को तो
प्रकृति भी उतनी ही जटिल नजर आएगी
49. बहती हुई ठंडी हवा की ठंडक कौन महसूस करता है
खूबसूरत नजारे कौन महसूस करता है
जीवन को एक अलग नजरिये से कौन देखता है
जो देखने की कोशिश करता है जो अपनी आंखों से
दुनिया को प्रकृति को देखता है ना की दूसरो की निगाहों से
50. प्रकृति ने पंख सबको दिया है मगर उड़ता वही है
जिसे पंख फैलाकर उड़ने में शर्म नहीं आती है