मै खुद से क्या चाहता हूँ
अब ये बात ही कहाँ रह गयी
अब हम हम ही ना रह गये
जो हम पहले हुआ करते थे
मोहब्बतों के उस दौर में
अब ना ही किसी से मुझे प्यार है
और ना ही अब किसी का मुझे इंतजार है
हमने खुद को ऐसा खोया की
मै खुद को ही हमेशा हमेशा के लिए भूल गया
हमे उस दौर में अब वापस ना ले जाओ
जिस दौर से हम कब के लौट आए हैं
हर कोई बेवफा है वहाँ
दिलो को तोड़ने का रिवाज है वहाँ
दिल की धड़कनो की बंद आवाज है जहाँ
हर किसी के हाथ में खंजर है
हर कोई वार करने के लिए बेताब है वहाँ
कितनी वार सहेगा दिल
ये दिल है हमारा
कोई गोश्त का टुकड़ा नहीं
आ आज खुल के जी ले जरा
जहाँ सिर्फ मै हूँ मै हूँ और मै हूँ
जहाँ ना कोई कसमें हो जहाँ ना कोई रसमे हो
जहाँ ना कोई वादे हो जहाँ ना कोई इरादे हो
जहाँ मकसद ही सिर्फ इतना हो
खुल के जी लेने जितना हो
जहाँ ना किसी का ऐतबार हो
जहाँ ना किसी का इंतजार हो
जहाँ कहानी चाहे पूरी हो या अधूरी हो
जहाँ सिर्फ खुल के जीना ही मजबूरी हो
खुद को उन बंधनों से आजाद रखे
जहाँ कुछ भी ना बर्बाद रखे
जहाँ कोई बंधन हो ही ना
सिर्फ मै हूँ मै हूँ और मै ही हूँ हर जगह
अपने लिए हमेशा खड़ा
सपना कुछ ऐसा था जहाँ सिर्फ एक तू अपना था
हर कोई पराया था दूर हर किसी का साया था
एक ही तो बस तू था ऐसा क्यों था
ऊपर खुला आकाश था
हर तरफ बस फैलता प्रेम का
प्रकाश ही प्रकाश था
तुम्हे अपनी आंखों में बंद कर लेता मै
और तुम्हे प्यार में क्या देता मै
तुमने ऐसी आग लगाई
धुआ धुआ कर बहुत ऊंची राख उड़ाई