love quotes | heart touching quotes
भाग :- ( 1 )
ऊंच मकान की खिड़कियां बंद रहती है
बनावटी हवाओ में जीने के आदी है ये
घुट – घुट कर जी लेते हैं ये मगर
खिड़की को खोलकर खुल के सांस लेना
इन बंद खिड़कियों के बुतो के बाहर की बात है
जिंदगी क्या है इनके लिए दिखावा है
बनावटी चेहरो में रहने वाले मुखौटे
खुल कर जीना तक भूल चुके हैं
कोई कैसे बताएं इन्हें जीवन
इन आलिशान कोठियों में कहाँ है
लोगों की मजलिसो में भी कहाँ है
जीवन तो बस एक बहाव है स्वछंद
जहाँ खुद को रोक के नहीं बल्कि
उस बहाव के साथ बह जाना ही तो जीना है
भाग :- ( 2 )
आप को हमसे तकलीफ है
इस बात से हमें तकलीफ है
मगर क्या करे ये समस्या आपकी है हमारी नहीं
आप हमे अपना दुश्मन मानते हैं
हम अब भी आपको दोस्त मानते हैं
दुश्मन आप ने माना है हमने नहीं
आप को शौक है हमे बर्बाद करने का
हम अब भी आपको आबाद देखना चाहते हैं
बर्बादी आप हमारी चाहते हैं हम आपकी नहीं
हमारी निंदा करना आपको रास आता है हमे नहीं
हर जगह मुझे बदनाम करके आपको सुकून मिला है
पर आपको बदनाम हम करे ऐसा कभी हमने सोचा भी नहीं
मुझे तकलीफ पहुँचा कर मजा आपको आता है हमे नहीं
हम तो आपकी तकलीफ को अपनी तकलीफ समझते हैं
इस तरह से जीना आपको आता है हमे नहीं
हर जगह मुझे नुकसान पहुंचाने में आप ने जी जान लगा दी
हम ने तो कभी इन सब तकलीफो के लिए
आपको कुसूरवार माना ही नहीं
कहे भी तो क्या कहे हम आप से
आप ने कभी कुछ कहने का मौका कभी दिया नहीं
भाग :- ( 3 )
वो साबित करने में लगे रहते हैं
हमारा चरित्र चरितार्थ नहीं चरित्रवान नहीं
बल्कि चरित्रहीन है हम से
अगर इतनी ही नफरत है
तो एक बार साबित करने के बजाय
बार – बार साबित क्यो करने में लगे रहते हैं
हमसे इतनी नफरत ही है तो
दिन रात हमारे ही विचारों से क्यों उलझे रहते हैं
ये नफरत भी बड़ी शिद्दत से निभाई है आप ने
कभी अपने दरवाजे के छेद भी देख लो
दूसरों के दीवारो में झाँकने से पहले
वो कौन है ये जानने से क्या फायदा
उनकी ही मेहरबानी से हम खुद को जान सके
भाग :- ( 4 )
पहले हम ये समझते थे
कोई हमारा दुश्मन नहीं है
अब तो पता भी नहीं चलता
कौन दोस्त है कौन दुश्मन है
हर कोई अपनेपन की बात करता है पर
मौका मिलने पर पहला खंजर वही मारता है
एक खंजर से उनका दिल ना भरा
अब तो हमारी धड़कन भी खंजरों के साथ साथ धड़कती है
भाग :- ( 5 )
वो कैसे रब बने घूम रहे थे
जो गुनेहगार मानकर सफाई का एक
मौका भी ना दे सके
अगर ऐसी इस रब की दुनिया है
तो हम गुनहगार बनकर ही जी लेते हैं
कम से कम रब कोई है ये गलतफहमी
पालने से तो बचे रहेगे
ऐसे रब की दुनिया में रहने से भी क्या फायदा
जो दिल से निकली आह तक को गुनाह मानते हैं
भाग :- ( 6 )
वो ईश्क ही क्या जो सुकून ना दे सके
कभी ना खत्म होने वाला जूनून ना दे सके
आवारा तो कई घूमते हैं सड़कों पर दरबदर ऐ जानशीन
मरहमे ईश्क खलिश कुरबते बायंनेबाजी का तसकीन ना रहता
भाग :- ( 7 )
महफिले सूनी हो गयी हमारे एक चले जाने से
तुम अगर हमे रोक लेते तो तुम्हारा क्या जाता
आज भी वहाँ रौनकें होती
आज भी वहाँ कोई गजल गाता
सून लेते कोई कोई उन दर्द भरे नजमो को
तो वहाँ बैठा हर कोई शख्स
बुत बनता हर कोई दहल जाता
फिर भी तुम ना होते वहाँ
चाहे हमारा वजूद खाके मिट्टी में बदल जाता
भाग :- ( 8 )
वो ईश्क ही क्या जहाँ सिर्फ अपने वजूद की परवाह हो
जो परवाह करते हैं वो ईश्क क्या खाक करते हैं
जहाँ हस्ती तक मिट जाती है
सिर्फ एक मुस्कान की खातिर
उस ईश्क को इतना छोटा तुमने समझ रखा है
भाग :- ( 9 )
सच्चे कद्रदानो की तुम्हे कद्र ही कहाँ
तुम तो घिरे रहते हो अपने ही शीशे के
इर्दगिर्द जरूरतों के साऐ से
बाहर तुम क्या खाक झांकोगे
डरते हो जिन शीशे के साऐ से
धिरे हो इतने दिनों से
वो शीशा कही टूट ना जाए