कभी -कभी जब जीवन में मै बहुत परेशान हो जाता हूँ तो थक कर एक कोने में बैठ जाता हूँ वो मेरी पसंदीदा जगह है जहाँ मै अक्सर बैठा करता हूँ कभी खुशी के पलो में तो कभी गमगीन क्षणो में मै आज भी वहाँ बैठा हूँ मुझे वहाँ पर कितनी सारी आस पास की आवाजें सुनाई दे रही है लेकिन मै अपनी जगह से टस से मस नहीं हो रहा हूँ मै बस उन आवाजों को सिर्फ सुन रहा हूँ लेकिन मै उन आवाजों पर ध्यान नही दे रहा हूँ घंटो बीत गये इन आवाजों के शोर मे हर आवाज की अनदेखी करते हुए फिर मुझे एक हल्की सी आवाज सुनाई दी जिस आवाज को मै शायद बहुत अच्छी तरह से पहचाना हूँ फिर वो आवाज थोड़ी और मुझे तेज सुनाई दी मै तुरंत जो घंटो से बैठे हर आवाज की अनदेखी कर रहा था इस एक आवाज पर मै हरकत में आ गया जैसे मेरे बेजान से शरीर में किसी ने जान फूंक दी हो मैंने नीचे झांक कर अपनी बालकोनी से देखा तो तुम मुझे दिखी जो ओटो वाले को पैसे देकर उससे बात कर रही थी तुम्हे देखकर मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा आज तुम पूरे दस दिनों बाद अपने मायके से लौट कर घर आयी थी और तुमने मुझे ये बताया भी नहीं था तुम आज आ रही हो तुम तो अपने घर बिमार अपने परिवार के एक बिमार सदस्य की देखभाल करने गयी थी मै तुम्हे जाने से रोक भी नहीं सकता था मै नहीं चाहता था की तुम जाओ साथ ही मै ये भी नहीं चाहता था की तुम उस बिमार सदस्य की देखभाल ना करो इसलिए मैने ही तुम्हे भेजा था दिल पर पत्थर रख कर लेकिन जैसे ही तुम गयी लगा सब कुछ तुम अपने साथ ले गयी मैने तो शायद अपना ध्यान भी रखना बंद कर दिया था हमारा बेडरूम जहाँ सिर्फ तुम्हारी हंसी गुंजती थी मैने हमारे बेडरूम में जाना भी छोड़ दिया था तुम्हारे बिना ये हमारा बेडरूम मुझे बहुत तकलीफ दे रहा था मै तो बाहर हाॅल मे रखे सोफे पर ही सो जाता था लेकिन हमारे बेडरूम में नहीं जाता था मै हर दिन जोड़ता था की तुम कब आओगी अभी तुम्हे गये सिर्फ दो दिन ही हुए थे और मुझे ऐसा लगता था मै सब कुछ छोड़ छार कर तुम्हारे पास चला आऊं लेकिन मैं नहीं जा सकता था अगर मै जाता तो तुम्हारा अपने घर के बिमार सदस्य की देखभाल से ध्यान भटक जाता
पूरे घर का बुरा हाल था मैने शायद कल रात में खाना भी नहीं खाया था हालांकि तुम मुझे सुबह दोपहर और रात में फोन करके मेरा हाल चाल लेती थी मेरे खाने के बारे में पूछती थी मै कहता था सब ठीक है मैने खाना खा लिया है मै रात में खाना बाहर से लेकर आता था और जैसे ही मै किचन में जाता था बर्तन लेने जिसमें खाना रख कर खा सकूँ मुझे वहाँ तुम्हारी चूड़ी मुझे रखी हुई दिखी जिसे तुमने बदला था और जाने की जल्दी में तुम मेरे लिए खाना बनाकर गयी थी और उसे वही छोड़कर चली गई थी मै फिर तुम्हारी याद में खो गया और आज भी रात में मैने खाना नहीं खाया वो सारा खाना मुझे मजबूरी में फेकना पड़ा ऐसा लग रहा था एक महीने तक मै कैसे जी पाऊंगा मै अपना काम भी नहीं ठीक से कर पा रहा था आज मै हमारे शादी के एल्बम में तुम्हारी तस्वीर को देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा और कुछ क्षणो के बाद मै तुम्हे याद करके रोने लग गया मै और अधिक नहीं सह पाया तुम्हारी जुदाई तभी तुम्हारा फोन आ गया मै अगर रोते हुए उस हालत में फोन उठाता तो तुम मेरी हैलो से सब समझ जाती फिर तुम सब कुछ छोड़कर आ जाती मेरे पास इसलिए मैने उस समय तुम्हारा फोन नहीं उठाया और इस बात पर मुझे और भी रोना आ रहा था तुमने उस समय बहुत बार फोन किए फिर दरवाजे की बेल बजी पड़ोसी का छोटा बेटा जिसने कुछ साल पहले बोलना ही सीखा है उसकी मम्मी ने उसे भेजा था हमारे से सटा घर उनका है शायद तुमने बगल में फोन कर दिया इसलिए वो बच्चा आया कहने आंटी का फोन क्यो नही उठा रहे किसी तरह ये दिन बीत रहे थे मै और हमारे घर की हालत खराब थी चादरों पर धूल जमी थी तुम जिन फूल के गमले में पानी देती थी वो भी सूख रहे थे घर की खिड़की को भी मै नहीं खोलता था ना ही मैने शेविंग की थी ये दस दिन मुझे दस लम्बे युग लग रहे थे मै जाकर वही बैठा बेसुद सा और जब तुम्हारी आवाज आई तुम्हे ओटो वाले से बात करता देखा तो मै नीचे भागते हुए गया और तुम्हे कुछ कहे गले से लगा लिया जैसे मैने तुम्हे गले से लगाया तुम सब समझ गयी तुमने कहा ऊपर चले मै तुम्हे ऊपर लेकर आ रहा था लेकिन अब मै डर रहा था क्योंकि घर की जो हालत मैने बना दी थी ये देखकर तुम गुस्सा ना हो जाओ क्योंकि मैं समझ रहा था तुम तीसवें दिन आओगी तब एक दिन पहले मै घर की सफाई करके ठीक कर देता लेकिन मै खुश बहुत था तुम्हारे आने से बस थोड़ा डर इसी बात को लेकर था
जब तुम घर के अंदर आई तो तुमने कुछ भी नहीं कहा तुम बस खिड़की को खोलने गयी और मुझे कहा चाय पीओगे मै सोच रहा था तुमने अभी तक घर की इस हालत पर मुझे कुछ क्यो नही कहा लेकिन तुम चाय बनाकर लाई मैने तुम्हारे कुछ कहने से पहले ही कहा मै घर साफ कर देता हूँ तुमने मुझे चाय दिया मै पी रहा था फिर मैने देखा तुम किचन में हो मुझे लगा तुम अपने लिए चाय लाने गयी हो फिर मैने देखा तुम रो रही थी मैने कहा सब ठीक है बस घर गंदा है लेकिन फिर तुम मेरे गले से लिपट कर बहुत रोयी और मुझसे कहा ऐसी हालत खुद की करनी थी तो फिर जाने क्यो दिया मुझे मै जानती तुम ऐसा करोगे तो मैं कभी नहीं जाती मैने कुछ भी नहीं कहा बस तुम्हे चुप करा रहा था तुमने कहा दस दिन में ये हालत कर ली तीस दिनो मे पता नहीं क्या करते ये तो अच्छा हुआ मै आ गयी मै कुछ कह नही पाया मेरे पास कोई जवाब नहीं था यही तो प्रेम है सच्चा प्रेम सच्चे प्रेम की अनुभूति किसी एक के होने से ये संसार स्वर्ग बन जाता है तो किसी एक के नहीं होने से कुछ जीवन में नहीं बचता प्रेम वो अनुभूति है जिसे सिर्फ और सिर्फ महसूस किया जा सकता है हमेशा हमारे तुम्हारे होने से और शायद हमारे तुम्हारे इस दुनिया से जाने के बाद भी ये प्रेम किसी ना किसी के दिल में हमारे जैसा प्रेम हमेशा से रहेगा किसी न किसी का दिल मेरी ही तरह धड़केगा और शायद किसी ना किसी का दिल तुम्हारी तरह तड़पेगा