प्रेम को अगर सीमित कर दिया जाए किसी दायरे में उसे बांध दिया जाए तो फिर वो प्रेम ही कहाँ रह जाऐगा प्रेम भला बंधन…
तुम्हारा और मेरा प्यार सबसे अच्छा है तुम मुझे समझती हो मै तुम्हे समझता हूँ तुम हंसती हो तो मै हंसता हूँ तुम रोती हो…
ये कौन रो रहा है जिसके आंसू मुझे विचलित करते रहते हैं ये किसकी सिसकियां है जो बेहद खामोश है फिर भी मै इन्हें सुन…
रात भी बड़ी अजीब होती है जितनी खामोशी बाहर होती है उतना ही शोर भीतर होता है कभी कभी ये समझ में नहीं आता है…