आज आसमान का रंग कुछ बदला सा है शायद कही बरसात हुई है कही वर्षों के बूंद गिरे हैं तो कहीं जज्बात के बादलो से…
मैने तुम्हारी ना जाने कितने युगों तक तलाश की है फिर कही तुम से मै मिल सका हूँ अब ऐसा लगता है शायद ये वही…
हमारे घर का पता बड़ा आसान है हवाओ से बना हमारा मकान है ना कोई दरवाजा है ना ही कोई खिड़कियां है ना ही बिखरा…
कभी कभी मै सारी आशाओ को त्याग कर चुपचाप बैठ जाता हूँ शांत एक कोने में मुझे लगता है क्या कभी हम मिल पाएंगे मन…
हाँ मै उस दुनिया में रहता हूँ जहाँ केवल प्रेम बसता है जहाँ केवल प्रेम की मधुर धुन से हर सुबह होती है प्रेम की…