ये कहानी है हौसले की विश्वास की सच्चे प्रेम की जिसके आगे सब कुछ छोटा नजर आता है पार्वती जो एक बहुत ही समझदार लड़की है जो बहुत धार्मिक भी है और उसे धूमने का भी शौक है खासतौर पर उन जगहों पर जाना जहाँ कुछ रोमांचक करने को मिले
वो कोलकाता मे रहती है और अपनी सहेलियों के साथ इस गर्मी के मौसम मे धूमने की योजना बनाई है इस योजना के अंतर्गत उसने हिमालय के कुछ दुर्गम स्थानो पर चढ़ाई करने का फैसला किया है आज सुबह -सुबह वो कोलकाता से शिमला हवाई यात्रा करके आई है उसकी दो -तीन सहेलियां भी है वो लोग हवाई अड्डे से निकल कर सीधे होटल के लिए रवाना हो गयें आज के दिन उन्होंने आराम किया होटल मे थोड़ी मौज- मस्ती की अगली सुबह एक स्थानीय गाईड आ गया जो उनको पहाड़ो की चढ़ाई मे मदद करने वाला था फिर पार्वती और उसकी सहेलियां उस स्थानीय गाईड के साथ निकल पड़े हिमालय के उन खूबसूरत वादियों मे और ऊंचे पहाड़ो की खाक छानने
उन्हे चलते-चलते दोपहर हो गई फिर उन्होंने एक ऊंची चोटी को चिन्हित किया की इसपर ही चढ़ाई करनी है गाईड ने चेतावनी दी जिन्हें डर लगता है ऊंचाई से या फिर जो इसे मजाक समझ कर आ गये है वो इसपर नहीं चढ़े, फिर भी उन सबो ने उसकी बात को अनसुना कर दिया फिर चढ़ाई शुरू हुई सब धीरे -धीरे हंसी मजाक करते ऊपर की ओर चढ़ाई करने लगे उन्होंने आधा ही सफर तय किया था की अचानक मौसम खराब होने लगे सभी ने निर्णय लिया वापस लौटने का क्योंकि हिमालय मे मौसम का कोई अंदाज नहीं होता हिमालय जितना खूबसूरत है उतना ही खतरनाक है सबने लगभग चोटी की अच्छी ऊंचाई को तय कर लिया था फिर वो धीरे -धीरे नीचे उतरने लगे तभी उन्होंने एक छोटी सी गुफा सी दिखी उस स्थान पर
पार्वती और उनकी सहेलियों ने गुफा मे जाकर देखने का निर्णय किया लेकिन उन्हें पता नहीं था वो असल मे नीचे से बहुत गहरा पहाड़ी दर्रा था जैसे ही पार्वती की एक सहेली ने कदम रखा वो सीधे नीचे जाकर गिर गई जहाँ थोड़ा बहुत जल स्त्रोत भी था वो उसमें गिरी थी जिससे उसे चोट बहुत गंभीर रूप से आई पर इतनी की वो उठ नहीं पा रही थी सब ऊपर से देख कर घबरा गये
पार्वती ने गाईड से कहा उसे बचाये लेकिन गाईड ने कहा की अभी कुछ नहीं हो सकता सुबह के पहले
गाईड ने पार्वती और उसकी सहेलियों को लौटने के लिए कहा लेकिन कोई लौटने के लिए तैयार नहीं था फिर पार्वती ने गाईड से दूसरी रस्सी मांगी और उसने खुद नीचे उतरने का फैसला किया
पार्वती ने अपने सहेलियों को कहा लौट जाने के लिए अगर मौसम ज्यादा खराब होगा तो सब फंस जाऐगे कम -से-कम अगर सब लौटते हैं तो मदद आ सकती है देर से ही सही किसी तरह पार्वती ने अपनी सहेलियों को मना कर उस गाईड के साथ वापस भेज दिया बस उसने सबके बैग मे जरूरी काम की जो चीजे थी उसे अपने थैले मे लिया उसे कंधे पर टांग कर रस्सी के सहारे धीरे -धीरे नीचे उस दर्रे मे जाने लगी उसकी सहेलियाँ भी वापस लौटने के लिए मुड़ कर उस चोटी से नीचे जाने लगी पार्वती किसी तरफ बहुत मुश्किल से नीचे पहुँची इस दौरान उसे बहुत से खरोंचे कुछ चोटें आई उस दर्द को भूलकर अपने दोस्त के पास पहुंची किसी तरह से बहुत मुश्किल से
पार्वती की दोस्त उस ठंडे पानी से बाहर आ गयी थी उसके कपड़े गीले थे वो बुरी तरफ काप रही थी पार्वती ने सबसे पहले उसे पानी से थोड़ी दूर सुरक्षित जगह पर लेकर गयी किसी तरह उसे कम्बल से ढ़क दिया फिर उसके पैर को जोर से रगड़ने लगी ताकि इससे उसमें गरमाहट आए फिर पार्वती ने अपनी दोस्त के हाथ को जोर से रगड़ने लगी उसे किसी तरह गर्माहट देने की कोशिश करने लगी
उसकी इस कोशिश से उसकी सहेली अब पहले से बेहतर महसूस करने लगी अब समस्या थी की रात होने वाली थी और रात मे हिमालय मे ठंड बहुत ज्यादा होती है अब क्या होगा यही सोच कर पार्वती परेशान हो रही थी फिर उसे याद आया उसे रोमांच पसंद है उसने हर बार ऐसे बहुत से परिस्थितियों का सामना किया था जो रोमांच मे किसी -किसी के लिए बहुत खतरनाक थी फिर जब आज उसकी सहेली को उसकी सबसे ज्यादा मदद की जरूरत है तो वो कैसे घबरा सकती है उसके दिमाग मे एक उपाय सुझा
उसने बर्फ को तेजी से हटाकर एक बैरक जैसा तैयार करने लगी क्योंकि रात अब होने ही वाली थी ठंड भी बहुत बढ़ चुकी थी और पार्वती को चोट भी लगी थी फिर भी उसने अपना दर्द भूलकर बर्फ को अपने हाथों से हटाकर एक छोटी सी गुफा जैसा बनाने लगी और करीब दो घंटे मे उसने इतना बड़ा गुफा जरूर बना दिया जिसमें दो लोग समा सके अब हवा ऐसे बह रही थी जैसे कानो को छेद देगी अब पार्वती ने बहुत तेजी दिखाई अपने दोस्त को किसी तरह लेकर उस बर्फ के गुफा मे चली गई जो उसने खोदा था फिर पार्वती ने कुछ बर्फ को वहाँ पर जमा करके रखा था जिससे उसने गुफा के मुंह बंद कर दिया बस थोड़ा सा खुला रखकर पार्वती ने अपनी दोस्त को चोकलेट खाने दिया क्योंकि जब लोग पहाड़ो की चढ़ाई करने निकलते है वो अपने पास चौकलेट जरूर रखते है ताकि जरूरी कैलोरी मिलता रहे शरीर को ऊंचाई पर आज की रात बहुत लम्बी और परीक्षा वाली थी पार्वती बस दुआ कर रही थी उसकी दोस्त को कुछ न हो वो सही सलामत रहे रात भर पार्वती की दोस्त दर्द से रोती रही उसका पैर टूट चुका था बहुत से गहरे जख्म थे और पार्वती उसे हिम्मत देती रही अपने दर्द को भूलकर किसी तरह सुबह हुई और थोड़ी देर के बाद मदद आ गयी पार्वती और उसकी दोस्त को अस्पताल ले जाया गया
जहाँ दोनों के इलाज हुआ कुछ दिनों मे पार्वती बिल्कुल ठीक हो गई और उसकी दोस्त ठीक थी मगर अब भी अस्पताल में थी पार्वती की दोस्त ने पार्वती को बुलाया और कहा जब मै नीचे गिरी तो मुझे लगा अब मै नहीं बचूंगी फिर मैंने खुद को जिंदा पाया मुझे लगा मेरी मदद के लिए वो गाईड आएगा लेकिन वो नहीं आया फिर मैंने हमारी सारी सहेलियों के बारे मे सोचा की शायद ये मेरी मदद करेगी मुझे बचाएगी लेकिन किसी ने मुझे नहीं बचाया बचाया सिर्फ तुमने मुझे बचाने अकेले आ गयी
मै जब नीचे गिरी और जब कोई मेरी मदद को नहीं आया तो मुझे लगा शायद भगवान है ही नहीं लेकिन जब मैने तुम्हे आता देखा तो मुझे तुममें भगवान दिख रहे थे उसने प्यार से पार्वती को थैक्यु कहा पार्वती ने बहुत ही प्यार से उसे देखा एक अद्वितीय मुस्कुराहट के साथ कहाँ बस कर पगली रूलाईगी क्या