असफलता और सफलता के बीच एक डोर होती है जिसे हम डर कहते है जिन्होंने इस डोर को अपने हाथ मे थाम कर डर पर काबू पा लिया वही सफलता और असफलता के भेद को हमेशा के लिए मिटा सकता है
असफलता का सीधा मतलब है डर, निराशावाद, आलस, बुरी आदतें, अंहकार अगर आप इन सब बाधाओं को पार नहीं कर सकते हैं तो आप असफल है और अगर आप इन बाधाओं को पार करने में सक्षम है तो आप सफल है
अक्सर लोग असफल इसलिए हो जाते है क्योंकि उनके प्रयास से मिली असफलता का मिला दर्द उन्हें सफलता का दूबारा प्रयास करने के भाव से कही अधिक होती है
जब संकल्प की अक्सर कमी होती है जब किसी कार्य मे विश्वास की कमी होगी या पहले से ही किसी कार्य को करने को लेकर मन में शंका होगी तो कैसे सफलता मिलेगी आपको असफलता ही मिलेगी क्योंकि किसी कार्य में की जाने वाली हमारी कोशिश कितनी अधिक है ये महत्व रखता है ना की उस कार्य के परिणाम का बोझ अगर हमने पहले ही मन पर ले लिया तो असफल होना तय हैजब आप अपने आस -पास के लोगों से उनकी डर की वजह जानते हैं की वो क्यों असफल हो गये तो ऐसे लोगों को हर कार्य असंभव लगता है इसलिए हमे जीवन में असफलता तभी मिलेगी जब हम निराश लोगों की बातों पर आंख मूंदकर विश्वास कर लेते हैं सदैव उनकी सुने लेकिन दिमाग को खुला रखें आप बस समझदारी दिखाये क्योंकि हर किसी के खुद के अलग तर्क होते है लेकिन आप अगर उन तर्कों को सच मानेगे तो शायद असफलता आपको मिल सकती है
कोई भी व्यक्ति बार-बार असफल इसलिए होता है क्योंकि उस व्यक्ति का सारा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित नहीं होकर अपनी असफलता पर केंद्रित होता है क्योंकि उसके प्रयास में सदैव शंका और भय ही रहता है वो व्यक्ति अपना सारा ध्यान अपने कार्य पर केंद्रित नहीं करता अपना सारा ध्यान इस सोच पर केंद्रित कर देता है की कही वो असफल न हो जाएं उसे खुद पर भरोसा रखकर असफलता के भय से मुक्त होकर अपनी सारी ऊर्जा केवल अपने कार्य पर केंद्रित करनी चाहिए तभी वो सफल हो सकता है
असफलता एक ऐसा अध्याय होता है जिसमें हमारे प्रयास में विफलता के कारणों का बारिकी से उत्तर मौजूद होता है हमे बस उन खामियों पर गौर करना है उनसे सीख लेना है और उन सीखो का अपने प्रयासों में उपयोग भी करना हैं जब हम पुनः प्रयास करेगे तो हमारे सफल होने की संभावनाएं बहुत अधिक प्रबल हो जाएगी क्योंकि आप को ये अंदाजा हो जाएगा की आप ने कहां-कहां गलतियां की है और इन गलियों को दूबारा कैसे सुधारा जा सकता है
जो लोग केवल दूसरों को ही देखते रहते हैं
जो दूसरों से खुद की तुलना करते हैं
जिन लोगों के मन में किसी भी कार्य की पूर्ति के लिए मन में सदा शंका होता है
जो केवल अपना फायदा ही देखते हैं इस चक्कर में वो बहुत बड़ा नुक्सान ऊठा बैठते हैं
जो खुद की क्षमताओं पर यकीन नहीं करते हैं
जो खुद से ज्यादा दूसरों पर भरोसा करते हैं
जिन लोगों के मन में बदलाव स्वीकार करने का सामर्थ्य नहीं होता है
जो लोग अपने comfort zone से बाहर नहीं आना चाहते
जो लोग थोड़ा सा भी जोखिम उठाने से डरते
उसे सर्वप्रथम खुद पर भरोसा करना चाहिए
खुद के निर्णयों पर विश्वास करना चाहिए
असफलता का विचार त्याग कर सदैव कार्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए
हमेशा सीखते रहना चाहिए
अपने आस-पास के माहौल में हो रहे बदलाव चाहे वो आर्थिक हो या सामाजिक उसके लिए जागरूक रहना चाहिए
अपनी हर गलती से सीख लेकर आगे सदैव बढ़ना चाहिए
जीवन में हर तरह के परिवर्तन के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए
सबसे बड़ी बात उसे अच्छे और बुरे की समझ होना चाहिए चापलूस और एक सही व्यक्ति के फर्क को समझने के लिए प्रयासरत होना चाहिए
लोगों को लगता है की किसी कार्य में या जीवन में व्यवहारिक ज्ञान में उनकी वृद्धि नहीं हो रही है एक बार प्रयास करने के बाद उन्हे वैसा परिणाम प्राप्त नहीं होता जिसकी वो कल्पना करते हैं तो उन्हें लगता है की वो असफल हो गये है केवल एक प्रयास में ही खुद के सफलता और असफलता का निर्णय कर लेते फिर वो प्रयास करना छोड़ देते हैं उन्हें लगता है की ये कार्य उनके लायक नहीं है और इसमें वो सफल नहीं हो सकते केवल एक प्रयास में ही खुद को असफल मान लेते हैं और खुद की क्षमताओं का पूर्णतया उपयोग किए बिना स्वयं को ही असफल घोषित कर देते है
जो सदैव दूसरों की सुनते हैं खुद की नहीं कोई अगर उनसे ये कहता है कि आप सफल नहीं हो सकते ,ये काम आप के बस का नहीं है, क्यों इस काम को करके समय बर्बाद कर रहे हैं ,आप इस लायक नहीं है , आप कभी सफल हो ही नहीं सकते इन सब बातों को सुनकर लोग सच मान लेते हैं और फिर उस कार्य को नहीं करते जिस कार्य को करने का उन्होंने निर्णय लिया है क्योंकि लोग अपनी क्षमताओं को खुद नहीं मापते बल्कि दूसरों के द्धारा उनके क्षमताओं का आकलन होता है और लोग उन आंकलन के विरुद्ध अपनी क्षमताओं पर भरोसा करके कार्य ही नहीं करते बस लोगों के द्धारा किया गया उनका मूल्यांकन उन्हें भी सत्य लगने लगता जो कार्य का निर्णय अपनी क्षमताओं का बिना आंकलन किए उस कार्य को कठिन और आसान की परिभाषाओं से घोषित कर देते हैं
जो लोग किसी कार्य को करने से पहले ही ये मान लेते हैं की ये कार्य उनके बस का नहीं है जो सफलता से ज्यादा असफलता पर विचार करते रहते हैं जो लोगों की असफलता के अनुभव को अपना अनुभव मान बैठते हैं
जिन लोगों को केवल सुनने की आदत होती है आस-पास के लोगों से पर कार्य करने की आदत नहीं होती है
जब आप सफल होते हैं तो कहीं न कहीं आप को लगता है की आप उन लोगों के लिए भी कुछ करे जिन्हें इनकी आवश्यकता है
तो ऐसे में कुछ लोग खुलकर समाज के प्रगति और लोगों के विकास के लिए कार्य करते है जिससे बहुत सारे लोगों को सहयोग भी मिल पाता है उनका भला ही होता है ये सीख हमें असफलता से ही तो प्राप्त होती है हम जहां -जहां गलती कर चुके थे उन से सीख कर हम अब प्रगति कर रहे हैं और चाहते हैं इसका लाभ और भी लोग ले उन्हें ये बताया जाए की लोग कहां गलती करते हैं और उन गलतियों से कैसे बच सकते हैं ये एक नये सवेरे का आगाज ही तो है असफलता एक चुनौती नहीं बल्कि जीवन की वो सीख है जिसका पाठ अगर मनुष्य मन से कर ले तो उसकी सफलता संसार के लिए एक मिसाल बन जाती है क्योंकि उसकी सफलता में कोई रूकावट नहीं होती है
असफलता हमे हमारी कमियोंके बारे में विस्तारपूर्वक बता देती है क्योंकि असफल होना अंत नहीं ये तो एक नयी शुरुआत है जिसमें सारी कमियां धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास की एक ऐसी प्रक्रिया शुरू होती है जो जिसमें हर कमियों को गलतियों को सीखने की प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा माना जाता है
जब ये भावना विकसित होने लगती है तो सफलता स्वत: ही कदमों में आ जाती है
इसके लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान होना चाहिए
- कभी न हार मानना :- मन से अगर हम कभी हार नहीं माने तो फिर हमें कोई भी नहीं हरा सकता है
क्योंकि हारने के लिए खुद पर अविश्वास होना चाहिए लेकिन जब खुद पर विश्वास अटूट हो तो वो मनुष्य कभी हार नहींसकता है - कोशिश करते रहना :- अगर हम बार-बार असफलहोते हैं और कोशिश करना छोड़ दें तो हम जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते और अगर हम हारने के बावजूद भी लगातार कोशिश करते रहे और तबतक कोशिश करते रहे जबतक हम सफल नहीं हो जाएं
- सदैव खुश रहना :- अगर आप सदैव खुश रहें धैर्य रखें परिस्थितियों के अनुरूप सकारात्मक सोच रख सके तो मनुष्य किसी भी विषय परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होगा
- लक्ष्य का निर्धारण करना :- जो लक्ष्य प्रगति और विकास की ओर ले जाएं उस लक्ष्य का चुनाव करना भी सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि जब तक लक्ष्य महत्वपूर्ण नहीं है तब तक मनुष्य महत्वपूर्ण नहीं बन सकताहै
- दूसरों का सम्मान करना :- जब आप दूसरों का सम्मान करते हैं तो आप स्वत: ही सम्मान पाते हैं क्योंकि जब सम्मान वो अनमोल चीज है जो देने से और बढ़ती ही