कब दिन ढ़ला कब ढ़ली शाम

तुम तो नहीं आए पर

आया बस तुम्हारा नाम

कैसी ये है बेबसी

जिसमें आया है आराम

मै तो बस जलता ही रहा

लेकर तुम्हारा नाम

तुम ना बदल जाना जैसे

बदलते हैं क्षितिज पर उड़ते

पल -पल पंक्षियों के नाम

आकाश भले रह जाए सूना

पर ना बदले पंक्षियों के स्थान

अपने अरमानों के पंखों को

हवा के साथ साथ दूर ऊंचाइयों तक

उड़ने दे उन पंखो को मत रोके

बह जाए हवाओ के साथ

हवा जहाँ ले जाना चाहता है

उड़ा कर साथ अपने बस अब

उड़ते जाए हवाओ के साथ

प्रेम वो हवा है जो दो लोगों को उड़ा कर

दूर बहुत दूर ले जाती है

जहाँ कोई कभी दुखी नही रहता है

हर वक़्त हर कोई मुस्कुराता रहता है

क्योंकि वहाँ ना ही कोई दुख है

और ना ही किसी तरह की कोई तकलीफ

हर कोई मंद ही मंद हंसता रहता है

जहाँ आभाव है तो बस इस बात की

जीवन की एक तय सीमा है

लेकिन जब ये समय सीमा समाप्त होगी

तो फिर कभी इस जीवन मरण के चक्र में कभी नहीं फंसेंगे

घोसला अपनो ने ही उजाड़ा था

बड़े प्यार से पंक्षी ने इसे सींचा था

तिनका तिनका वर्षों तक जमा किया था

एक हल्की सी हवा क्या जोर से आई

घोसला बिखर गया

तिनके उड़ कर बहुत दूर तक गये थे

पंक्षी बहुत रोया था

उसने कितनी आवाज लगाई थी

लेकिन घोसला को बच नहीं पाया था

यहाँ तो कुल्हाड़ी भी अपनी थी

पीछे का हिस्सा भी अपना था

वो किस्सा भी अपना ही था

घोसला अपनो ने ही उजाड़ा था

बड़े प्यार से पंक्षी ने इसे सींचा था

तिनका तिनका वर्षों तक जमा किया था

एक हल्की सी हवा क्या जोर से आई

घोसला बिखर गया

तिनके उड़ कर बहुत दूर तक गये थे

पंक्षी बहुत रोया था

उसने कितनी आवाज लगाई थी

लेकिन घोसला को बच नहीं पाया था

यहाँ तो कुल्हाड़ी भी अपनी थी

पीछे का हिस्सा भी अपना था

वो किस्सा भी अपना ही था

कितना सुकून मिलता है

मुझे बस ये सोचकर

तुम साथ मेरे साथ हो

मै और क्या मांगू ऊपर वाले से

तुम हो यही क्या कम बात है

अब फर्क नहीं पड़ता है

बाहर धूप है भीतर बरसात है

प्रेम तो हमारा तुम्हारा ही तो विश्वास है

सूरज को चंद्रमा की तलाश है

पास में शीतलता का है समंदर

फिर भी युगों की प्यास है

एक दिन है तो एक रात है

एक खामोश है तो

एक शब्दों की बरसात है

एक बीता हुआ युग है तो एक नये

युग की शुरुआत है

एक कहानी का अंतिम पृष्ठ तो एक

कहानी की शुरुआत है

बहुत मुश्किल है सफर पर चलना पड़ता है

हर जगह आग फैली है जलना पड़ता है

कदम कदम पर है रूकावटे

उन रूकावटो में ढ़लना पड़ता है

रास्ते कभी खत्म ना हो जाए

तुम तक पहुँचने के

उन रास्तो के लिए लड़ना पड़ता है

फूलो के बाग में कांटो का भी संसार है

एक दुख तो एक सुख का आधार है

फूल और कांटे दोनों पौधे का भाग है

एक का स्पर्श कोमल तो

एक कठोरता का आधार है

पर नियति दोनों का ही प्यार है

यही तो प्रेम का संसार है

मै जब भी नजर उठा कर देखू जिस तरफ भी मुझे बस

तुम मुस्कुराते ही दिखो जहाँ तुम्हारी मुस्कान बस एक

मुस्कान नहीं रहे तुम्हारी

बल्कि वो मेरी सबसे बड़ी खुशी हो

जिसमें सिर्फ हम और तुम हो

तुम्हारे मुस्कुराने से ऐसी हवा बहे

जिसमें मै बस बहता ही

चला जाऊँ दूर बहुत दूर तक

प्रेम तो उस कमल और कीचड़ के जैसा होना चाहिए

जहाँ की परिस्थितियां कितनी विषमताओं से भरी होती है

जहाँ कोई चल भी नहीं सकता है

वहाँ सांस लेना भी दुश्वार होता है

इतनी दुर्गंध होती है फिर भी

कमल वही खिलता है

कीचड़ ही उसे अपने विकास के लिए अनुकूल लगता है

ये वो प्यार है जो कमल सीखाता है कीचड़ में खिलकर

परिस्थितियां जैसी भी हो लेकिन कमल और कीचड़

का संबंध अटूट है इसे कोई भी नहीं तोड़ सकता है

प्रेम अगर कमल और कीचड़ की तरह हो

तभी वो ईश्वर के चरणों में समर्पित किया जाता है

जहाँ प्रेम ना परिस्थितियां देखती है ना आभाव देखती है

ना कठिनाईयां देखती है बस वहाँ यकीन होता है अटूट

इसलिए ये प्रेम अमर हो गया

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