हमारे घर का पता बड़ा आसान है
हवाओ से बना हमारा मकान है
ना कोई दरवाजा है ना ही कोई खिड़कियां है
ना ही बिखरा वहाँ कोई सामान है
चारो ओर से खुला मकान है
हिमालय से जो प्रेम की नदी निकलती है
वही पर सबसे पहला और आखिरी
हमारे घर का ही निशान हैं
प्रेम के रंगों से सजा हमारा अरमान है
जहाँ धरती स्वर्ग से मिलती है
जहाँ प्रकृति और प्रेम गर्व से मिलती है
जहाँ बस ठंडी हवाऐं चलती है
जहाँ हर ओर दूर तक फैला प्रकाश ही प्रकाश है
जहाँ धरती को प्रेम से छूता आकाश है
जहाँ के शीतल जल में भी प्रेम की प्यास है
जहाँ के हवाओ में प्रेम के सुगंध का प्रताप है
जहाँ मेरे और तुम्हारे प्रेम का ही बस एहसास है
वो जगह ही कायनात है
वो जगह ही कायनात है
प्रेम मे केवल अनुभूति होनी चाहिए
बिना कहे शब्दों को समझने की अनुभूति
फिर दूरी कितनी भी क्यों ना हो
संवाद की आवश्यकता ही कहाँ होती है
एक दूसरे की भावना को महसूस कर लेना
यही सच्चा प्रेम है
प्रेम तो वो हवा है जो एक हल्के से
झोके से एक दूसरे को छू लेता है