आज सुबह से हर ओर कैसा शोर है
सब कह रहे हैं मोहल्ले में चांद उतर आया है
हर ओर जैसे भगदड़ और बदहवासी सी है
एक होड़ सी लगी है उस चांद को देखने के लिए
शायद सब ने तुम्हे पहली बार जो देखा है इसलिए
तुम्हारी एक झलक पाने के लिए तो आज
ऐसा लगता है सारे चकोर यही जमा हो चुके हैं
पर वो चांद तो मेरा है पूरा का पूरा
शायद आज मेरे घर में कुछ सबसे अनोखा घटित हुआ था
सूरज और चांद दोनों एक साथ एक छत के नीचे आ गये थे
दोनों एक दूसरे के आमने सामने थे
अब ना कोई चांद था ना ही कोई सूरज था
दोनों बस एक हो गये थे सदा सदा के लिए
और प्रकाश बनकर हर ओर फैल चुके थे
अब तो ऐसा लगता था जैसे युगों की प्यास मिट गयी हो
अब मेरे महल्ले में सिर्फ और सिर्फ प्रकाश ही प्रकाश फैला था
मेरे मोहल्ले की सड़कों ने ना जाने कब से
उस चांद के आने का इंतजार किया था
एक युग जैसे गुजार दी थी
मेरे महल्ले में हमेंशा दिन होता था लेकिन
चांदनी रात कभी होती ही नहीं थी
हर कोई उस चांदनी रात के लिए तरसता रहता था
उस शीतलता में बस नहाने के लिए लेकिन
अब तो दिन और चांदनी रात दोनों एक हो गये थे
अब मेरे मोहल्ले में कोई नहीं तरसेगा
अब यहाँ का हर दिन चांदनी रात सी होगी